ऐसे समझिए पूरा खेल 1958 में प्राथमिक स्तर का स्कूल खुला, पांच-छह साल तक सिमको के क्लब में संचालित किया जाता रहा। 1965-66 में आठ कमरे बनाए गए। 1978 में उच्च प्राथमिक विद्यालय के रूप में क्रमोन्नत हुआ। सेकंडरी स्तर पर 1984 में क्रमोन्नत हुआ। 1985 में प्राथमिक विद्यालय का भवन अलग बना। 1994 में सेकंडरी वाले स्कूल में कमरे बनाए गए। 1996 में बाढ़ के बाद भवन की मरम्मत कराई गई। 2014 में सेकंडरी स्कूल में प्राथमिक विद्यालय को मर्ज कर दिया गया।
यूं चली स्कूल गिराने की कहानी जिला कलक्टर की ओर से गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट के बाद जिला कलक्टर ने 30 जून 2020 को निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को पत्र लिखा। इसमें बताया कि संयुक्त जांच रिपोर्ट में विद्यालयों की स्थिति काफी खराब बताई गई है। वर्तमान में दोनों विद्यालयों मेे अध्ययन कार्य संभव नहीं है। कभी भी जनहानि हो सकती है। दोनों विद्यालयों में 118 विद्यार्थियों का नामांकन है। छात्रों के भविष्य को देखते हुए दोनों विद्यालयों के अन्यत्र संचालन के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी भरतपुर से वार्ता किए जाने पर उन्होंने अवगत कराया कि वर्तमान में इन विद्यालयों के नजदीक रामावि कृष्णा नगर है, जहां विद्यालयों का संचालन किया जा सकता है। निदेशक ने जिला कलक्टर की चि_ी को आधार मानते हुए तीन सितम्बर को स्कूल खाली करने की स्वीकृति दे दी।
आखिर क्यों नहीं जानी मंशा किसी भी विद्यालय संचालन एवं देखरेख की जिम्मेदारी संबंधित प्रधानाध्यापक की होती है, लेकिन सिमको विद्यालय के मामले में प्रधानाध्यापक की भूमिका कहीं नजर नहीं आई। इसके अलावा विद्यालयों के बेहतर संचालन के लिए गठित की गईं एसएमसी-एसडीएमसी समितियों को भी दरकिनार कर दिया गया। इस संबंध में समितियों से कोई राय भी नहीं जानी गई। शिक्षा विभाग ने भी इस संबंध में प्रधानाध्यापक से कोई राय-मशविरा नहीं किया।
निरीक्षण रिपोर्ट माध्यमिक विद्यालय
-विद्यालय में कुल 12 कमरे हैं।
-भवन के गेट एवं खिड़कियां जर्जर स्थिति में पाई गईं। ज्यादातर कमरों में क्रेक एवं दरार पाई गई। साथ ही लिंटन बीम कई जगह से क्षतिग्रस्त थे।
– भवन में लगी हुई गाडर/बीम सीलन के कारण जंग खाए हुए थे।
– बरसात में ज्यादातर कमरों में पानी टपकता है।
– भवन के चारों ओर प्लंथ प्रोटेक्शन नहीं होने के कारण बरसात के पानी से दीवारों में सीलन आती है। फर्श एवं दीवारों में सीलन पाई गई। कई जगह दीवारों में ईंटें नजर आ रही थीं। भवन की स्थिति उपयोग लायक नहीं है। यदि भवन की मरम्मत शीघ्र नहीं होती है तो भवन क्षतिग्रस्त हो सकता है और जनहानि भी हो सकती है। यदि भवन की मरम्मत की जाती है तो करीब 25 लाख रुपए का खर्चा आएगा। मरम्मत के बाद भवन को उपयोग में लाया जा सकता है।
-विद्यालय में कुल 12 कमरे हैं।
-भवन के गेट एवं खिड़कियां जर्जर स्थिति में पाई गईं। ज्यादातर कमरों में क्रेक एवं दरार पाई गई। साथ ही लिंटन बीम कई जगह से क्षतिग्रस्त थे।
– भवन में लगी हुई गाडर/बीम सीलन के कारण जंग खाए हुए थे।
– बरसात में ज्यादातर कमरों में पानी टपकता है।
– भवन के चारों ओर प्लंथ प्रोटेक्शन नहीं होने के कारण बरसात के पानी से दीवारों में सीलन आती है। फर्श एवं दीवारों में सीलन पाई गई। कई जगह दीवारों में ईंटें नजर आ रही थीं। भवन की स्थिति उपयोग लायक नहीं है। यदि भवन की मरम्मत शीघ्र नहीं होती है तो भवन क्षतिग्रस्त हो सकता है और जनहानि भी हो सकती है। यदि भवन की मरम्मत की जाती है तो करीब 25 लाख रुपए का खर्चा आएगा। मरम्मत के बाद भवन को उपयोग में लाया जा सकता है।
प्राथमिक विद्यालय रिपोर्ट
भवन में गेट एवं खिड़कियां टूटी हुई थीं। भवन में सीलन आई हुई थी। बाहर का प्लास्टर क्षतिग्रस्त था। गाडर/बीम सीलन के कारण जंग खाए थे।
– भवन की मरम्मत करने पर उपयोग में लाया जा सकता है। मरम्मत में करीब पांच लाख रुपए का खर्चा आएगा।
सवाल जो पीछे छूट गए
– कल्याणकारी गतिविधियों के लिए स्कूल खोला गया, लेकिन क्या इसकी मंशा पूरी हो सकी।
– नाकारा भवन का प्रमाण पत्र तक नहीं लिया।
– भवन निरीक्षण रिपोर्ट में
भवन में गेट एवं खिड़कियां टूटी हुई थीं। भवन में सीलन आई हुई थी। बाहर का प्लास्टर क्षतिग्रस्त था। गाडर/बीम सीलन के कारण जंग खाए थे।
– भवन की मरम्मत करने पर उपयोग में लाया जा सकता है। मरम्मत में करीब पांच लाख रुपए का खर्चा आएगा।
सवाल जो पीछे छूट गए
– कल्याणकारी गतिविधियों के लिए स्कूल खोला गया, लेकिन क्या इसकी मंशा पूरी हो सकी।
– नाकारा भवन का प्रमाण पत्र तक नहीं लिया।
– भवन निरीक्षण रिपोर्ट में
बड़ा सवाल…फोटो तक संलग्न नहीं किए स्कूल के प्रधानाध्यापक को किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं किया। यहां तक कि प्रधानाध्यापक का इस संबंध में एक भी पत्र व्यवहार नहीं है। एसएमसी-एसडीएमसी समितियों का कोई भी निर्णय इस संबंध में नहीं जाना गया। वास्तविकता के तौर पर मौके के फोटो भी संलग्न नहीं किए गए।
-अब इस मामले को लेकर न्यायालय ले जा चुके हैं। स्कूल प्रकरण में प्रशासन पर दबाव रहा है। यह प्राप्त दस्तावेजों से स्पष्ट है। अब स्कूल प्रकरण को भी न्यायालय में ले जाया जा रहा है। ताकि दोषियों को सजा दिलाने के साथ बच्चों को न्याय दिलाया जा सके।
कृपाल सिंह ठैनुआ संयोजक, सिमको बचाओ संघर्ष समिति -भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका था। कमेटी की रिपोर्ट पर ही भवन को तुड़वाया गया था। खुद निदेशक ने आदेश दिए थे।
प्रेमसिंह कुंतल
प्रेमसिंह कुंतल
डीईओ माशि मुख्यालय