रास्ता किया तय और बढ़ गई आगे डॉ. कुलश्रेष्ठ बताती हैं कि मां की ममता ऐसा शब्द है, जिसके आगे दुनिया की हर चीज छोटी नजर आती है। बेटियों ने जब मुझे हौसला दिया तो मेरी ममता का सागर भी उमड़ पड़ा। मैंने इसी क्षण ठान लिया था कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हों, मैं अपनी बेटियों को पापा की कमी नहीं अखरने दूंगी। वह कभी भी खुद को कमजोर नहीं आंकें, इसके लिए मैंने भरसक प्रयास किए। आज इसी परिवरिश की देन है कि मेरी दोनों बेटियां समाज की जिम्मेदार नागरिक होने के साथ अच्छे पद पर कार्य कर रही हैं।