ऐसे समझिए जाट आरक्षण का पूरा मामला भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाटों को 10 अक्टूबर 2015 में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया गया था, लेकिन बाद में आंदोलन के बाद सरकार ने आयोग का गठन कर सर्वे कराया और उस रिपोर्ट के बाद 23 अगस्त 2017 में दोनों जिलों के जाटों को फिर से राज्य में ओबीसी आरक्षण लाभ में शामिल किया जा सका, लेकिन तभी से इन जाटों की केंद्र में ओबीसी में आरक्षण की मांग जारी है। राजस्थान में 33 जिले है इनमें भरतपुर और धौलपुर जिलों को छोड़कर 31 जिलों के जाटों को राज्य व केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ मिल रहा है और राज्य में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर व धौलपुर जिलों के जाटों ने वर्ष 2017 में आंदोलन किया था इसके बाद आयोग के सर्वे के बाद दोनों जिलों को राज्य में तो आरक्षण मिल गया लेकिन उनको केंद्र में आरक्षण से वंचित रखा गया और केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर दोनों जिलों के जाट काफी समय से आरक्षण की मांग कर रहे है।
इन तीन मांगों को लेकर बनी सहमति -दोनों जिलों में जाटों को केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए राज्य सरकार केंद्र को सिफारिश लिखे जाने। -चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने।
-विगत आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने।