भरतपुर

आरक्षण पर जाटों ने भरी हुंकार, सरकार ने ऐनवक्त पर मानी बात

-भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने खेड़ली मोड पर डाला महापड़ाव, समाज ने लिया निर्णय 28 दिसंबर को केंद्र को सरकार ने लिखी सिफारिशी चिट्टी तो नहीं होगा आंदोलन

भरतपुरDec 26, 2020 / 10:38 am

Meghshyam Parashar

आरक्षण पर जाटों ने भरी हुंकार, सरकार ने ऐनवक्त पर मानी बात

भरतपुर. जाटों को ओबीसी में केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार को प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत जयपुर-आगरा नेशनल हाइवे-21 के पास खेरली मोड पर महापड़ाव शुरू किया गया। हालांकि ऐनवक्त पर सरकार से प्राप्त सकारात्मक आश्वासन के बाद समाज के निर्णय लेकर आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया। इसमें तय किया गया कि 28 दिसंबर को राज्य सरकार ने केंद्र को सिफारिशी चि_ी लिखने की बात कही है, अगर ऐसा नहीं होता है तो आगामी निर्णय लेकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। महापड़ाव में धौलपुर-करौली सांसद मनोज राजौरिया व भरतपुर सांसद रंजीता कोली भी पहुंचे।
महापड़ाव में समिति के संयोजक नेमसिंह फौजदार ने कहा कि आरक्षण समाज का हक है। इसको लेकर रहेंगे। समाज ने तय किया कि राजनैतिक पार्टियों को छोड़कर एक मंच पर आकर अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। आरक्षण की तीन सूत्रीय मांग को लेकर 18 नवम्बर 2020 को गांव पथैना की जाट महापंचायत के निर्णय के तहत खेड़ली मोड पर महापड़ाव का शुभारम्भ किया गया। इंसमें भरतपुर एवं धौलपुर जिले सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश आदि प्रान्त के जाट समुदाय के लोग शामिल हुए। अब समाज आरक्षण हासिल करने के लिए आरपार की लड़ाई जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के 33 जिले में से केवल भरतपुर व धौलपुर जिले के जाट समुदाय को केन्द्रीय आरक्षण से वंचित रखा गया है। एक राज्य के जाट समाज को आरक्षण की समानता क्यंू नहीं। उन्होंने कहा कि जाट समाज ने आरक्षण के लिए राज्य में आन्दोलन किया। धौलपुर करौली से सांसद मनोज राजोरिया ने कहा की राज्य सरकार जब दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश चि_ी भेज देगी तो उसके बाद हम भाजपा के सांसद इस लड़ाई की पैरवी केंद्र में करेंगे। उन्होंने कहा की दोनों जिलों के हक को दिलाने के लिए हम पूरी लड़ाई लड़ेंगे। सांसद रंजीता कोली ने जाटों को केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए पूरी पैरवी करने का आश्वासन दिया।
ऐसे समझिए जाट आरक्षण का पूरा मामला

भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाटों को 10 अक्टूबर 2015 में कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया गया था, लेकिन बाद में आंदोलन के बाद सरकार ने आयोग का गठन कर सर्वे कराया और उस रिपोर्ट के बाद 23 अगस्त 2017 में दोनों जिलों के जाटों को फिर से राज्य में ओबीसी आरक्षण लाभ में शामिल किया जा सका, लेकिन तभी से इन जाटों की केंद्र में ओबीसी में आरक्षण की मांग जारी है। राजस्थान में 33 जिले है इनमें भरतपुर और धौलपुर जिलों को छोड़कर 31 जिलों के जाटों को राज्य व केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ मिल रहा है और राज्य में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर व धौलपुर जिलों के जाटों ने वर्ष 2017 में आंदोलन किया था इसके बाद आयोग के सर्वे के बाद दोनों जिलों को राज्य में तो आरक्षण मिल गया लेकिन उनको केंद्र में आरक्षण से वंचित रखा गया और केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर दोनों जिलों के जाट काफी समय से आरक्षण की मांग कर रहे है।
इन तीन मांगों को लेकर बनी सहमति

-दोनों जिलों में जाटों को केंद्र में आरक्षण दिलाने के लिए राज्य सरकार केंद्र को सिफारिश लिखे जाने।

-चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने।
-विगत आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने।

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