मथुरा, आगरा व दिल्ली तक हो रही बिक्री इन्दिरा की ओर से बनाए गए मुड्डों में अधिक गुणवत्ता होने की वजह से वह भरतपुर, मथुरा, आगरा और दिल्ली के बाजारों में ले जाने लगे। जहां इसकी मांग बढ़ती चली गई। इन्दिरा के बढ़ते काम को देखकर गांव की अन्य महिलाओं ने भी मुड्डा निर्माण का काम सीख लिया। वे भी नवीन डिजाइंनों के मुड्डा बनाने लगी। इससे उनका कारोबार भी बढ़ता चला गया। इन्दिरा को मुड्डा निर्माण में हो रही आय को देखकर उसने अपने पति को मुड्डा निर्माण के कारोबार में लगा लिया और सभी बच्चों को स्कूल भेजना प्रांरभ कर दिया। इन्दिरा का परिवार खुशहाल जिन्दगी जी रहा है।