इसके बाद मंत्रालय की ओर से प्रस्ताव बनाकर लोकसभा को भेजा जाएगा। ताकि उसे पारित कराया जा सके। जानकारी के अनुसार राजस्थान में 33 जिले हैं। इनमें 31 जिलों के जाटों को केन्द्र में आरक्षण का लाभ प्राप्त है, लेकिन भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाटों को केन्द्र में आरक्षण से वंचित रखा गया है। इसके अलावा इन दोनों जिलों के जाटों को 2015 में राज्य में भी आरक्षण से वंचित कर दिया था, लेकिन सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर वापस 2017 में इन दोनों जिलों के जाटों को राज्य में आरक्षण का लाभ प्राप्त हुआ और उसके बाद अब केन्द्र सरकार में आरक्षण की मांग जा रही है।
अब बताते हैं कि भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारी सांसद डॉ. मनोज राजौरिया के नेतृत्व में दो बार केंद्रीय ओबीसी आयोग से मिल चुके हैं। अध्यक्ष भगवानदास साहनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल आगामी कुछ दिनों में दोनों जिलों में आकर वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट बनाएगा। हालांकि इससे पहले राजस्थान राज्य ओबीसी आयोग भी इस तरह का निरीक्षण कर रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज चुका है।