यह कहना है उत्तर प्रदेश के
हाथरस जिले के गांव फुलरई में हुए हादसे से बचकर आए श्रद्धालुओं का। पत्रिका टीम ने उनसे बात की तो पता चला कि
भरतपुर व डीग जिले से करीब एक हजार से अधिक श्रद्धालु मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम कमेटी की ओर से भोले बाबा के सत्संग कार्यक्रम में पहुंचे थे। समापन के बाद भगदड़ में डीग जिले के गांव नगला साबौरा की राजनदेई उर्फ राजेंद्री की मौत हो गई, जबकि भरतपुर व डीग की सात महिलाएं घायल हो गईं।
नहीं जाते तो पत्नी तो जिंदा रहती
हादसे में जान गंवाने वाली राजनदेई उर्फ राजेंद्री (44) निवासी नगला साबौरा के पति परसादी बोले कि वे दोनों करीब 11 साल से सत्संग में जा रहे हैं, लेकिन इस बार उनका जाने का मन नहीं था। मगर सेवादार का फर्ज निभाने की बात कहने पर मान गया। बस से रात के नौ बजे चले और सुबह चार बजे वहां पहुंच गए। अगर हम पत्नी की बात नहीं मानते तो तो शायद वह जिंदा होती। राजनदेई के दो पुत्र एव दो पुत्रियां है। हादसे को याद कर बिलख उठी प्रेम
गोलपुरा गांव की प्रेम पत्नी भगवान सिंह (55) का भगदड़ में पैर टूट गया था। एक निजी अस्पताल में उपचार के बाद परिजन चारपाई पर उसे घर लेकर आए। प्रेम ने बताया कि सत्संग समाप्त हुआ तो भोले बाबा के उठते ही भीड़ उनकी तरफ भागी। लोग एक दूसरे के ऊपर चड़ गए। मेरे ऊपर कितने लोगी गिरे पता नहीं। मैं चीख रही थी, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। मैं कितनी देर बेहोश रही पता नहीं। जब होश आया तो देखा कि शवों के ढेर लगे थे। मैंने जिन्दगी में ऐसा खौफनाक मंजर नहीं देखा।
अम्मा कहीं इन शवों में तो नहीं
विजय नगर कॉलोनी निवासी वेदराम पुत्र जगन सिंह ने बताया कि सत्संग समापन के बाद पांडाल में हाहाकार मच गया। किसी तरह भागकर बस में आया तो जान बची। वहां कितने शव थे कितने बेहोश पड़े थे कहना मुश्किल था। लोग मदद को चिल्ला रहे थे लेकिन हर कोई अपनी जिंदगी बचा रहा था।
पतौ नांय जाने कितैक मरये होएंगे
विजय नगर कॉलोनी की सुगरवती पति घनश्याम के साथ सत्संग सुनने गई थीं। अचानक भगदड़ मच गई। लोग एक दूसरे के ऊपर गिर रहे थे। हर ओर हे प्रभु…मर गया…बचाओ की आवाज सुनाई दे रही थी। भागकर बस के पास आई तो जान बची। परमात्मा को धन्यवाद दिया। वहां तो पतौ नांय भइया जाने कितैक मरये होएंगे।