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भरतपुर

सात समंदर पार भी हैं गफरुद्दीन की भपंग के कद्रदान

-कई देशों में दिखा चुके हैं अपना हुनर

भरतपुरMar 20, 2021 / 03:18 pm

Meghshyam Parashar

सात समंदर पार भी हैं गफरुद्दीन की भपंग के कद्रदान

भरतपुर. हिन्दुस्तान भर में उनके हुनर के दीवाने हैं तो सात समंदर पार भी उनकी कला के कद्रदान बहुतेरे हैं। विरासत में मिली इस कला को वह पीढ़ी दर पीढ़ी देना चाहते हैं, इससे हमारे देश और जिले की कला को यूं ही मान-सम्मान मिलता रहे। हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय भपंक वादक गफरुद्दीन मेवाती जोगी की। जोगी अपनी इस अनोखी कला का प्रदर्शन कई देशों में कर चुके हैं। मेवाती वाद्ययंत्र भपंग लौकी के तुम्बे से बनाया जाता है और एक विशेष प्रकार का प्लास्टिक का तार तुम्बे में पिरोकर इस वाद्य यंत्र को तैयार किया जाता है और कोहनी में दबाकर अंगुलियों से इसे बजाया जाता है। गफरुद्दीन के मेवाती भाषा के भपंग पर गाये गए कई लोकगीत खासे लोकप्रिय हैं। इसमें गिर्राज महाराज पर गाया गीत पुजगो गिरधारी काफी पसंद किया गया है। इसके अलावा मेवाती गीत जमीला तेरो नखरों पुनिया से न्याल्यो और माया पर बेईमानी एवं मत करियो मेरा राजा या काया को अभिमान आदि लोकगीत खासे लोकप्रिय हैं।
गफरुद्दीन मुख्य रूप से महादेवजी का ब्यावला, पांडुओं का कड़ा (महाभारत), ब्रज के लोक गीत एवं श्रीकृष्ण के भजन गाते हैं। अब फाल्गुनी बयार में वह होली के गीत भी सुना रहे हैं। गफरुद्दीन अब बेटे शाहरुख के अलावा पोते दानिश जोगी वंदिल जोगी को भी इस कला की बारीकियां सिखा रहे हैं। गफरुद्दीन ने बताया कि उनके पिता बुद्ध सिंह इस कला में माहिर थे। उनकी इस कला का सम्मान विदेशों तक हुआ। पिता से ही उन्होंने इस कला में महारथ हासिल की। विरासत में मिली इस कला को वह खासी ऊंचाईयों तक ले गए हैं। आज उनकी रग-रग में यह कला बसी हुई है। गफरुद्दीन इस कला का प्रदर्शन आस्ट्रेलिया, कनाड़ा, पेरिस, लंदन एवं अमेरिका में कर चुके हैं। गफरुद्दीन परिवार का भपंग से तीन पीढिय़ों का रिश्ता है। उनके पिता बुध सिंह ने इसकी शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने भपंग के सहारे अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई।
लोग बदल देते थे ब्याह की तारीख

गफरुद्दीन बताते हैं कि पहले स्थानीय स्तर पर इस कला के कद्रदान बहुत थे। गफरुद्दीन बताते हैं कि पहले ब्याह-शादियों में मनोरंजन के तौर पर इस कला का प्रदर्शन किया जाता था। जब किसी परिवार में लड़के-लड़की की शादी तय हो जाती थी तो लोग हमारे पास आते थे। यदि हमारी उस तिथि को कहीं बुकिंग होती थी तो लोग अपने विवाह की तिथियां बदल देते थे, लेकिन आज युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर रमी नजर आती है।
पीएम से पा चुके सम्मान

गफरुद्दीन अपनी कला की बदौलत प्रधानमंत्री से सम्मान पा चुके हैं। गफरुद्दीन बताते हैं कि महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर हुए कार्यक्रम में पीएमओ कार्यालय की ओर से उन्हें बुलाया गया था और उनका सम्मान किया गया था। इस दौरान फिल्मी सितारों के रूप में कंगना रानौत, शाहरुख खान एवं आमिर खान आदि मौजूद रहे थे। गफरुद्दीन राज्य सरकार से भी सम्मान पा चुके हैं।

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