अब आई नगर निगम को याद जानकारी के अनुसार 12 फरवरी 2022 को हुईनगर निगम की साधारण सभा की बैठक में कुछ पार्षदों की ओर से नंदीशाला की अव्यवस्थाओं को लेकर हंगामा किया गया था। बैठक में तय हुआ था कि उप महापौर गिरीश चौधरी की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी। इसके बाद करीब दो महीने गुजरने के बाद भी कमेटी गठित नहीं हुई। अब छह अप्रेल को उप महापौर की अध्यक्षता में समिति गठित कर आयुक्त ने पार्षद रूपेंद्र सिंह, हरभान सिंह, दाऊदयाल शर्मा, रामेश्वर सैनी, श्यामसुंदर गौड़, नेता प्रतिपक्ष कपिल फौजदार, सतीश सोगरवाल, मुकेश कुमार पप्पू, शैलेष पाराशर व पंकज गोयल को सदस्य के रूप में शामिल किया। आदेश में लिखा था कि यह कमेटी किन्हीं दो-तीन गौशालाओं का निरीक्षण कर इकरन की नंदीशाला का संचालन एनजीओ के माध्यम से कराने के लिए सुझाव प्रेषित करेगी। जब तक किसी एनजीओ के माध्यम से नंदीशाला का संचालन नहीं होता है तो तब यह कमेटी नंदीशाला के बेहतर संचालन के लिए मेयर को सुझाव देगी। कमेटी को 15 दिन में रिपोर्टप्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
कैमरे लगाए, लेकिन चालू अब तक नहीं हकीकत यह हैकि इकरन की नंदीशाला को लेकर नगर निगम प्रशासन कितना गंभीर है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले कई माह से नंदीशाला में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात चल रही है, लेकिन अभी तक कैमरे लगाने के बाद उन्हें चालू तक नहीं किया गया है। जब जिम्मेदारों से पूछा तो उन्होंने कहा कि शायद कैमरे लग गए होंगे।
नहीं रुका श्वानों का हमला नगर निगम की अनदेखी के चलते गौशाला में श्वानों का प्रवेश नहीं रुक सका है। बहुतेरे बछड़ों और घायल गौवंश का मांस नोंच चुके श्वान अभी भी गौशाला में बेखौफ घूम रहे हैं। अब भी श्वान बेधड़क घुस रहे हैं। हालांकि जन्म देने वाली गायों के लिए अलग से जाली लगाकर सुरक्षा घेरा बना दिया है। इससे अब बछड़े सुरक्षित हो गए हैं, लेकिन यदि इसका गेट खुला रह जाए तो आवारा घूमने वाले श्वान इन बछड़ों को अपना शिकार बना लेते हैं।
इनका कहना है -नगर निगम ने इकरन की नंदीशाला में गौवंश को मरने के लिए छोड़ रखा है। ग्रामीण कितनी ही बार इसको लेकर विरोध कर चुके हैं। अगर नगर निगम से व्यवस्थाएं नहीं संभल रही है तो राज्य सरकार को मना कर देना चाहिए कि नगर निगम इस योग्य नहीं है। कम से कम उन बेजुबानों पर तो अत्याचार न किया जाए। जिनके नाम पर हर माह लाखों-करोड़ों रुपए का बजट व्यय किया जा रहा है। इस बजट में भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
उदय सिंह, जिलाध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद्
-मृत गौवंश का न पोस्टमार्टम कराया जाता है और न मेडिकल की व्यवस्था है। जांच होनी चाहिए कि मृत गौवंश के अवशेष कहां जा रहे हैं। मेरे पास इसके काफी वीडियो उपलब्ध हैं जो कि नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। बजट के नाम पर बेजुबान गौवंश पर अत्याचार किया जा रहा है। नगर निगम ने हड्डी ठेका दिया हुआ है तो हड्डी व खाल के अलावा अन्य अवशेष किस स्थान व कब कितनी मात्रा में किस माध्यम से दफनाए गए हैं। इसकी जांच करानी चाहिए। यह मुद्दा पहले भी नगर निगम आयुक्त के सामने उठाया जा चुका है।
-मृत गौवंश का न पोस्टमार्टम कराया जाता है और न मेडिकल की व्यवस्था है। जांच होनी चाहिए कि मृत गौवंश के अवशेष कहां जा रहे हैं। मेरे पास इसके काफी वीडियो उपलब्ध हैं जो कि नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। बजट के नाम पर बेजुबान गौवंश पर अत्याचार किया जा रहा है। नगर निगम ने हड्डी ठेका दिया हुआ है तो हड्डी व खाल के अलावा अन्य अवशेष किस स्थान व कब कितनी मात्रा में किस माध्यम से दफनाए गए हैं। इसकी जांच करानी चाहिए। यह मुद्दा पहले भी नगर निगम आयुक्त के सामने उठाया जा चुका है।
कृपाल सिंह जघीना, सदस्य, रेलवे सलाहकार मंडल