क्या है प्लाज्मा थैरेपी ऐसे मरीज जो हाल ही में बीमारी से उबरे हैं उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जो ताउम्र रहते हैं। ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं। इसे दवा में तब्दील करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं। ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती हैं इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं। यह मरीज के शरीर को तब तक रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाता है जब तक उसका शरीर खुद ये तैयार करने के लायक न बन जाए।
क्योंकि…पहले भी कारगर हो चुकी है प्लाज्मा थेरेपी प्लाज्मा थेरेपी को पहले भी कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 2002 में सार्स वायरस से निपटने व 2009 में एच1एन1 इंफेक्शन रोकने और 2014 में इबोला जैसे खतरनाक वायरस को मिटाने के लिए भी किया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी कराने का सबसे बड़ा लाभ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। थैरेपी के बाद संक्रमित की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है इससे ठीक होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
-प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा कोराना संक्रमितों को मिल सकेगी। इसके अलावा भरतपुर के मेडिकल कॉलेज के लिए 112 करोड़ रुपए स्वीकृत कराए गए हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री से भी मिलकर बजट के बारे में अवगत कराया गया था। इससे काफी हद तक मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का विस्तार किया जा सकेगा। साथ ही जिले के मरीजों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
डॉ. सुभाष गर्ग
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री
डॉ. सुभाष गर्ग
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री