निगम ने यह लिखा नोटिस में नगर निगम प्रशासन ने महेश गोयल के नाम दिए नोटिस में सार्वजनिक रास्ते, फुटपाथ व नियम विरद्ध निमा्रण हटाने की बात कही है। साथ ही कहा है कि निगम ने मौके पर जाकर की जांच की तो प्रथम दृष्टया यह अतिक्रमण पाया गया। नोटिस में कहा है कि बिना स्वीकृति एवं बिना मंजूरी निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 194 का उल्लंघन है। इसके लिए भू स्वामित्व संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करें। अन्यथा नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 194 व 245 के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
भवन निर्माण अनुमति के लिए यह जरूरी नगर निगम से भवन निर्माण की अनुमति लेने के लिए निर्माणकर्ता या भवन मालिक को आवेदन देना होता है। इसमें आवेदन के साथ नक्शा, जमीन के कागजात सहित अन्य दस्तावेज लगाने होते हैं। इसके बाद सक्षम अधिकारी या इंजीनियर मौका-मुआयना कर भवन निर्माण की अनुमति जारी करता है। यह प्रक्रिया अब ऑनलाइन कर दी गई है।
अवैध निर्माण में रुझान क्यों? -लोगों के पास जमीन के समुचित दस्तावेज नहीं होते हैं। -कतिपय अधिकारी कागजी कार्रवाई के नाम पर आवेदक को बेवजह चक्कर खिलाते हैं। -अवैध निर्माणकर्ताओं को कई अफसरों व रसूखदारों का संरक्षण हासिल होता है।
-कागजी कार्रवाई के बिना निर्माण शुरू कर देते हैं। -अनुमति प्राप्त करने की झंझट व आर्थिक मार से बचते हैं। -अवैध निर्माण के बाद निकाय से समझौता कर लेते हैं। -राजनीतिक अडंगेबाजी व शिकवा-शिकायत से बचते हैं।
-अवैध निर्माण से राजस्व का नुकसान होता है। -संबंधित क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं जुटाने का बोझ बढ़ता है। – रिकॉर्ड में अवैध निर्माण की संख्याओं में इजाफा होता है। -शहर के विकास व सौंदर्यीकरण में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
यह भी कारण आए सामने -शिकवा-शिकायत कर माल बटोरने वालों को ऐसे निर्माण से फायदा होता है। इसके अलावा परोक्ष-अपरोक्ष रूप से कार्रवाई व जांच के नाम पर पैसा वालों की भी शहर में अच्छी-खासी तादाद हैं, लेकिन अधिकृत रूप से अवैध निर्माणकर्ता व जनता ऐसे लोगों के नाम उजागर नहीं करती है।
-शहर में पूर्व में बिना अनुमति किए गए निर्माण व अफसरों की गलतियों का खामियाजा नगर निगम ने भुगता भी है। मॉनीटरिंग व निगरानी के अभाव में शहर में हुए ऐसे निर्माण के कारण वर्तमान में कई योजनाओं व सौंदर्यीकरण के कार्य नहीं हो पाते हैं।