जाटव ने आगे कहा, “पेयजल को लेकर सरकार बड़े-बड़े वादे किए हैं, बावजूद इसके भरतपुर संसदीय क्षेत्र के अधिकाश हिस्सों में पेयजल की समस्या ज्यों की त्यों है। जमीनी हालात सरकार के दावे के उलट हैं। भरतपुर संसदीय क्षेत्र की आधी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है, और यहां के लोगों के लिए कृषि ही रोजगार के एकमात्र साधन हैं। ऐसे में पानी की समस्या की वजह से फसल न होने की स्थिति में किसान आत्महत्या जैसे कदम भी उठा चुके हैं।” उन्होंने केंद्र सरकार से इस समस्या के समाधान को लेकर उचित कदम उठाने की अपील की।
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