Durgadas Uikey : बैतूल-हरदा लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद बने दुर्गादास उइके राज्य मंत्री बन गए हैं। मंत्री दुर्गादास की बहन सुमन सरियाम ने बताया शुरुआती दिनों में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। भैया गन्ना पिरोने के कार्य पर जाया करते थे। उस समय दो रुपए और तीन रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी मिलती थी। बहनें उसे कपड़े खरीदने के लिए कहती थी। उन मजदूरी के पैसों से बहनों के लिए कपड़े खरीदते थे।
परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं रहा
दुर्गादास उइके के बेटे योगेश ने बताया पापा पहले ही 6 जून को संगठन के कार्यों से दिल्ली चले गए थे। उन्हें बुलाया गया था। दुर्गादास उइके दिल्ली में ही थे। रविवार को फिर उइके को पीएम कार्यालय से फोन आया और बताया कि बैठक में उपस्थित होना है। दोपहर में एक बजे के लगभग दुर्गादास उइके ने मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित अपने घर पर अपनी पत्नी ममता उइके को फोन किया और बताया मंत्री के लिए नाम तय हुआ और शाम को शपथ लेंगे। जिसके बाद परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पापा का जिस समय फोन आया परिवार के सभी लोग घर पर ही थे। मम्मी ने सभी को बताया। सभी ने आपस में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई। योगेश ने बताया सुबह पीएम कार्यालय से फोन आया था। जिस तरह से रिकॉर्ड मतों से जीते थे और कार्य कर रहे थे। इस वजह लग रहा था कि उन्हें मंत्री बनाकर बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। पापा के मंत्री बनने से सभी बहुत खुश है।
पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी घर पहुंचना शुरु हो गए थे। सभी ने खुशी मनाई और मिठाई खिलाई। कार्यकर्ताओं ने मनाई खुुशी सांसद डीडी उइके को मंत्री बनाए पर कार्यकर्ताओं ने खुशी मनाई।
बैतूल लोकसभा सीट पर आठ बार कांग्रेस और दस बार भाजपा पार्टी ने जीत हासिल की है। कांग्रेस ने बैतूल से लोकसभा चुनाव जीते असलम शेरखान को वर्ष 1994 में केबीनेट मंत्री बनाया था। असलम शेरखान बैतूल लोकसभा से सीट दो बार वर्ष 1991 और 1984 में भी चुनाव जीते थे। वर्ष 2009 में सीट का परिसीमन के बाद आदिवासी के लिए आरक्षित है।
इसलिए आए चर्चा में थे दुर्गादास
8 फरवरी 2018 में विराट हिन्दू सम्मलेन में सर संचालक मोहन भागवत के मंच का संचालन उइके ने किया था। 2019 में सांसद बनने पर लोकसभा में हुई शपथ संस्कृत भाषा में ली थी।
आजीवन संगठन के लिए कार्य करना
मंत्री डीडी उइके ने बताया उनका लक्ष्य राष्ट्र को परम वैभव पर शिखर पर पहुंचाना और इसके लिए तन मन और धन समर्पित करना है। अंतिम इच्छा आजीवन संगठन के लिए कार्य करना है।
आरएसएस में लिया प्रशिक्षण
जिला आयोजन समिति उपाध्यक्ष के दायित्वों का निर्वहन करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों मे जागरुकता का कार्य किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वर्ष 2000 से सदस्य है। द्वितीय वर्ष तक प्रशिक्षण प्राप्त किया। उज्जैन में वर्ष 2007 और कोटा राजस्थान में वर्ष 2008 में प्रशिक्षण प्राप्त किया। गायत्री परिवार से 1984 जुड़कर युवा प्रकोष्ठ जिला समन्वय के रूप में कार्य किया। आदर्श श्रीराम शर्मा आचार्य, डॉ केशव बलीराम हेडगेवार आदि है।