बस्तर

बस्तर संभाग के सबसे बड़े बांध के केनाल में सेंध, 5000 किसानों की रोजी रोटी अधर में

छत्तीसगढ शासन की जल संसाधन विभाग के कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना बस्तर जिले का ही नही बल्कि बस्तर संभाग की सबसे बडी सिंचाई परियोजना है।

बस्तरJan 17, 2018 / 11:54 am

Badal Dewangan

जगदलपुर . संभाग के सबसे बड़े बांध से सटे इलाके वाले किसानों के लिए इन दिनो दिया तले अंधेरा जैसी स्थिति बन गई है। दरअसल विभागीय लापरवाही के चलते संभाग के सबसे बड़े बांध के करीब रहने वाले किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है। नतीजा यह है कि इलाके के पांच हजार किसानों ने रबी की फसल की तैयारी तो कर ली है लेकिन योजना के तहत 3750 हेक्टेयर की खेत की सिंचाई के लिए पर्याप्त बताए जाने वाले इस बांध से बमुश्किल 50 हेक्टेयर खेत की सिंचाई ही हो पा रही है।
योजना केवल कागजी
कोसारटेडा बांध के मुख्य जिम्मेदार जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग के अधिकारीयों सहित सत्ताधारी राजनैतिक दल के जनप्रतिनिधि, किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक करने समेत कृषि के क्षेत्र में विकास को लेकर कितने ही उपलब्धियों की आंकडे बताऐं । परन्तु धरातल पर सच्चाई इसके विपरित है।
लगातार दूसरी बार बह गया मुख्य केनाल
कोसारटेडा बांध के डूबान क्षेत्र मे पांच गांवों के प्रभावित 945 परिवार के लोगों ने तो यह कल्पना भी नही की होगी कि उनके पुरखों ÓकीÓ पैतृक चल अचल कृषि जमीन, घर पानी मे डूबने के बदले मे बांध की पानी का सदुपयोग जीविकोपार्जन के लिये खेतों मे हरियाली बिखेरने की बजाय विभागीय अमलों की नहर अव्यवस्था व लापरवाही से प्रभावित होते दिखाई देगें। इसको लेकर इनमें बहुत आक्रोश है।
पांच हजार किसानों की रोजी रोटी पर सवाल खड़े हो गए हैं
खेत में पानी न आता देख सभी लोग काफी परेशान है। यह विभाग की लापरवाही ही है कि इसकी मरम्मत की ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया जिसके चलते अब यहां के पांच हजार किसानों की रोजी रोटी पर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल कोसारटेडा बांध से सिंचाई परियोजना के तहत 24 किमी केनाल का निर्माण किया गया है। इसी के जरिए पानी किसानों के खेतों तक पहुंचती है। लेकिन इसकी मरमत पर न विभाग ने ध्यान दिया और न ही बार बार शिकायतों के बाद जनप्रतिनिधियों ने। अब हालत यह है कि केनाल जगह जगह से टूट गया सिमेंट उखडने से दरारें पड गई है। 3750 हेक्टेयर पानी देने की जगह गिने चुने किसानो के खेत तक ही पानी पहुंच रहा है। खरीफ के बाद रबी की फसल के लिए 5000 किसान अपने खेतों से उत्पादन के लिए तैयारियां पूरी करके बैठे हैं। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते उनके यहां तक पानी ही नहीं पहुंच रहा है। अब किसान परेशान हैं कि कैसे उन्हें लाभ मिलेगा।
फैक्ट फाइल
2008 में लोकार्पण
24.54 किमी नहर के लिंक की लंबाई
26 गांवों में पहुंचता है यहां का पानी
7360 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र खरीफ में
3750 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र रबी में

विभाग व जनप्रतिनिधियों से की गई शिकायत लेकिन आज तक सुनवाई नहीं
केसरपाल के किसान शिवनाथ बघेल ने बताया कि, जब केनाल बना था तो आस जगी थी कि साल में तीन बार फसल लेंगे। केनाल बनने के बाद शुरूआती सालों में फायदा भी हुआ लेकिन इसकी तीन चार सालों बाद पानी खेतों तक पहुंच ही नहीं रहा है। कई बार इसकी शिकायत विभाग व जनप्रतिनिधियों से की गई लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हो सकी है। बिना पानी कैसे उत्पादन होगा यही चिंता खाई जा रही है।
भूखे मरने की नौबत आ जाएगी
मुरकुची के किसान जगबंधु ने बताया कि, खरीफ की फसल तो समय पर बारिश नहीं होने के चलते खराब ही हो गई थी। अब उम्मीद थी कि रबी में संभाग के सबसे बड़े बांध से सिंचाई के लिए पानी लेकर कुछ कमा लेंगे लेकिन कनाल क्षतिग्रस्त होने से उनके खेतों तक पानी पहुंच ही नहीं रहा है। एेसे में कैसे फसल होगी। यदि इस बार फसल ठीक से नहीं हुई तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
ठेकेदार की देरी की वहज से ये समस्याा उत्पन्न हो रही
कोसारटेडा बांध के एसडीओ एमएस मांझी ने बताया कि, केनाल की मरम्मतीकरण का टेंडर हो चुका है ठेकेदार की देरी की वहज से ये समस्याा उत्पन्न हो रही है। समय पर कार्य नहीं होने पर ठेकेदार पर कार्रवाई की जाएगी।

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