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साइबर फ्रॉड के डर से पशुपालक न हीं बताते ओटीपी, पंजीयन हो रहा प्रभावित

पशुपालन विभाग में भी टीकाकरण ऑनलाइन पंजीयन के बाद हो पा रहा है। इसके लिए पशुपालक ओटीपी बताने से कतरा रहे है। पशुपालकों को डर रहता है कि कहीं वे साइबर फ्रॉड का शिकार नहीं हो जाए।

बस्सीJun 30, 2024 / 04:43 pm

vinod sharma

साइबर फ्रॉड के डर से पशुपालक न​हीं बताते ओटीपी, पंजीयन हो रहा प्रभावित

सभी सरकारी विभागों की तर्ज पर अब पशुपालन विभाग में भी टीकाकरण ऑनलाइन पंजीयन के बाद हो पा रहा है। इसके लिए पशुपालक ओटीपी बताने से कतरा रहे है। पशुपालकों को डर रहता है कि कहीं वे साइबर फ्रॉड का शिकार नहीं हो जाए। खास बात यह है कि जब तक ओटीपी नहीं मिलेगी, तब तक पशु का पंजीयन नहीं होगा। इससे पशु टीकाकरण से वंचित रहेगा। जयपुर ग्रामीण के चौमूं नोडल परिक्षेत्र में पशु चिकित्सा विभाग की ओर से 4 से 9 माह के बछड़ियों एवं पाडियों के ब्रूसेला बीमारी से बचाव को लेकर करीब 15 दिन से टीकाकरण किया जा रहा है। लंपी बीमारी की रोकथाम को लेकर भी एक सप्ताह से गोवंश के टीकाकरण का काम प्रगति पर है, लेकिन पशुपालकों की जागरूकता की कमी से दोनों टीकाकरण प्रभावित हो रहे है। चौमूं नोडल की बात की जाए तो ब्रूसेला टीकाकरण का करीब 8 हजार और लंपी से बचाव को लेकर 12 हजार पशुओं के टीकाकारण का लक्ष्य है, लेकिन पशुपालकों में जागरूकता की कमी से टीकाकरण का काम धीमा चल रहा है।

15 दिन में 1200 पशुओं के लगाए टीके
नोडल पशु चिकित्साकर्मियों ने बताया कि 15 दिन से ब्रूसेला बीमारी से बचाव को लेकर पशुधन के छोटे बच्चों के टीके लगाने का काम किया जा रहा है। अब तक महज 1200 छोटे बच्चों को टीके लग पाए है। इधर, लंपी बीमार से बचाव को लेकर भी महज 6 हजार गोवंश के टीके लग पाए है। लक्ष्य करीब 14 हजार से अधिक है। पशुपालकों में जागरूकता की कमी से टीकाकरण का काम प्रभावित होता दिख रहा है।

टीकाकरण के लिए 14 टीमें बनाई
पशुओं में होने वाली दोनों बीमारियों के बचाव को लेकर टीके लगाने के लिए 14 टीमें बनाई गई है। पशुधन सहायकों का कहना है कि ओटीपी को लेकर वे परेशान है। कई बार सर्वर तो कई बार पशुपालक की ओर से ओटीपी नहीं बताने से परेशानी बढ़ रही है। जबकि टीकाकरण के लिए पंजीयन जरूरी है। यह पंजीयन तभी संभव है, जब ओटीपी पशुपालक की ओर से देना होगा।

देनी पड़ती गारंटी
पशुधन सहायकों ने बताया कि टीकाकरण करने के लिए ऑनलाइन डाटा फीड करना होता है। पंजीयन के लिए पशुपालक के मोबाइल पर ओटीपी पहुंच जाती है, लेकिन कई पशुपालक ठगी का शिकार होने के भय से ओटीपी नहीं बताते है। कर्मियों को कई बार पशुपालकों को साइबर फ्रॉड नहीं होने की गारंटी देनी पड़ती है। आसपास के लोगों एवं जनप्रतिनिधियों से कहलवाने पर ही पशुपालक ओटीपी बताते है।
पशु टीकाकरण

फैक्ट फाइल
नोडल केन्द्र के अधीन चिकित्सालय: 14
क्षेत्र में उप पशु चिकित्सा केन्द्र: 10
क्षेत्र में पशुओं की संख्या: 90 हजार

इनका कहना है….
परिक्षेत्र में ब्रूसेला एवं लंपी आदि बीमारियों से बचाव को लेकर पशुओं में टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन पशुपालकों की ओर से पंजीयन के लिए ओटीपी नहीं बताने की समस्या आ रही है। इससे टीकाकरण अभियान धीमा चल रहा है। जब भी पशुपालक को किसी तरह का संदेह हो तो वह संबंधित कर्मचारी का पहचान पत्र या फिर अन्य पहचान पत्र मांग सकता है। संबंधित संस्था के चिकित्सक से भी बातकर संबंधित व्यक्ति पहचान कर सकता है।
-डॉ.नरेन्द्र कुमार शर्मा, नोडल अधिकारी, पशु चिकित्सा केन्द्र चौमूं

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