डूब आने के पूर्व राजघाट में प्रतिदिन कई लोग बापू की समाधि तक जाते थे और बापू को नमन करते थे। डूब आने के बाद राजघाट जलमग्र हो गया और लोगों का यहां आना-जाना लगभग बंद हो गया। इसके बाद से बापू की समाधि पर पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम हो गई है। अब महात्मा गांधी की समाधि पर उनकी पुण्यतिथि और जयंती पर आयोजनों के दौराना लोग पहुंचते हैं। बांध के बैक वाटर की डूब ने बापू की पहचान भी छीन ली है।
इधर मचान पर बैठी है गांधीजी की प्रतिमा
धार जिले के डूब गांव चिखल्दा में बस स्टैंड पर वर्षों पुरानी महात्मा गांधी की प्रतिमा सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर में डूब जाती थी। डूब गांव के लोगों ने प्रतिमा को डूबते देख बापू की प्रतिमा को बैक वाटर से ऊपर लेवल पर कर उसे एक मचान पर विराजित कर दिया है। डूब गांव के लोगों ने बापू की प्रतिमा को डूबने से बचाने के लिए ये जतन किया है। डूब प्रभावित गांव के इन लोगों का संघर्ष आज भी जारी है।