छोटी दुकान से बड़े मॉल तक पहुंचा
अब खरीददारी का मॉल कल्चर आ गया है। लोग इस ऐतबार से मॉल तक पहुंच रहे है कि वहां पर तो उन्हें असली उत्पाद मिलेगा, लेकिन बड़े-बड़े मॉल में भी यही हाल हैं। यहां पर भी नकली उत्पादों की भरमार होने लगी है। ऐसे में उपभोक्ता के लिए असली की पहचान कहां और कैसे करनी रही?
ब्रांड का नाम और कोई बोलने वाला नहीं
नकली घी का गोरखधंधा करने वालों ने ठगी में दुस्साहस अब यहां तक कर लिया है कि ब्रांड घी के नाम से ही ये अपने घी को उतार रहे हैं। ब्रांड का नाम होने से आम आदमी ऐतबार कर लेता है, लेकिन असल में घी के ये डिब्बे भी इन्होंने ही तैयार किए हुए है।
कर्मचारियों का नहीं नेटवर्क
खाद्य सुरक्षा में लगे हुए कर्मचारियों का अपना नेटवर्क नहीं है। जिले की आबादी बड़ी है और इसमें कम कर्मचारी हैं। शिकायत आने पर इंतजार किया जा रहा है। नकली घी को लेकर बाजार में एक साथ अभियान नहीं चलाया जा रहा है। नकली घी के उत्पादकों के मुनाफे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पॉम आयल और अन्य में एसेंस मिलाकर 200 रुपए प्रति किलोग्राम में ही घी तैयार कर लेते हैं और इसको 500 से अधिक के दाम में बाजार में उतारा जा रहा है। दो सौ से तीन सौ रुपए प्रति लीटर तक कमाई के चक्कर में अब इस नकली घी के कारोबार में उतरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।