माध्यमिक शिक्षा के तहत अधिशेष शिक्षकों को प्राथमिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा में समायोजित किया गया है। जिले सहित प्रदेशभर में यह प्रक्रिया चली जिसमें हजारों की तादाद में
शिक्षकों को समायोजित किया। इसमें इस बार पुराने पैटर्न को अचानक ही बदल दिया। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से तबादला, नियुक्तियां, डीपीसी, समायोजन में पारदर्शिता को लेकर काउंसलिंग का प्रावधान किया हुआ है। इसमें ऑनलाइन रिक्त पद, विद्यालय का नाम होता है, जिसमें एक-एक अभ्यर्थी को वरीयता के अनुसार बुला कर उसकी मनचाही स्कूल का चयन कर नियुक्ति दी जाती है, लेकिन इस बार अचानक ही सीधी सूची बना कर समायोजन कर दिया है।
किसी को पास तो किसी तो दूर
समायोजन सूची में कई शिक्षकों को घर के नजदीक स्कूल में समायोजित कर लिया, लेकिन कई को पचास से सौ किमी दूर भेज दिया। अब ये शिक्षक इच्छित स्थान पर लगने के लिए जनप्रतिनिधियों की डिजायर के लिए चक्कर काट रहे हैं तो शिक्षा विभागीय अधिकारियों से भी गुहार कर रहे हैं।
गाइड लाइन की उड़ी धज्जियां
जानकारों के अनुसार विभागीय गाइड लाइन में निर्देश थे कि समायोजन में शिक्षक को उसी स्कूल में पद रिक्त होने पर वहां, पीईईओ क्षेत्र व ब्लॉक में ही लगाना है, लेकिन कई शिक्षकों को इस गाइडलाइन के अलग दूसरे ब्लॉक में लगा दिया। वहीं ब्लॉक में भी आसपास के विद्यालय की जगह दूरदराज के स्कूलों में लगाया है।
उठ रहे सवालिया निशान
काउंसलिंग की जगह समायोजन सूची जारी करने पर शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। जब पारदर्शिता को लेकर सालों से काउंसलिंग हो रही है तो फिर सूची बना कर समायोजन क्यों किया गया। इस सूची में शिक्षा विभागीय अधिकारियों, कार्मिकों की मनमर्जी चली है। ऐसे में सूची पर सवाल उठ रहे हैं।
काउंसलिंग नहीं करना गलत
काउंसलिंग नहीं करना गलत है। काउंसलिंग में पारदर्शिता होती है जिससे शिक्षक मौके पर ही ऑनलाइन स्कूलों में पद रिक्तता, लॉक होने की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन सूची बनाने से शिक्षा विभागीय अधिकारियों व कार्मिकों की चली है। जिस पर कई शिक्षकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाई गई है। - बसंतकुमार जांणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा