नगर निगम में विकास के काम न होने पर तमाम फजीहत हो रही है। निर्माण विभाग से लेकर लेखा विभाग और अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन विकास कार्यों के टेंडर होने के बाद निरस्त करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। इनमें निर्माण विभाग की ही गलती नहीं बल्कि टेंडर डालने वाली फर्म भी कम नहीं है। ठेकेदारों के बीच चल रही आपसी वर्चस्व की लड़ाई की वजह से नगर निगम में विकास कार्य ठप पड़े है। कई ऐसे ठेकेदार नगर निगम में आए गए हैं जो गुटबाजी कर मामले में नगर निगम की छवि को धूमिल कर रहे हैं। हाल ही में तीन फर्म को नगर निगम ने चिन्हित कर उनके खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है।
फर्मों द्वारा लिए गए कामों का किया जा रहा सत्यापन कार्यादेश जारी होने के बाद काम शुरू करने के लिए नई फर्म को नियमानुसार 15 दिन का समय दिया जाता है। ऐसे 15 से 30 काम है जिनकी अवधि खत्म हो चुकी है। कई ठेकेदारों की फर्म ने 15 दिन का समय और मांगा, लेकिन काम शुरू नहीं किया। इस हिसाब से निगम को काफी नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि विकास कार्यों में देरी हो रही है। नगर निगम के प्रभारी मुख्य अभियंता डीके शुक्ला ने बताया कि मेयर के निर्देश पर कुछ फर्मों द्वारा लिए गए कामों का सत्यापन किया जा रहा है। टेंडर लेने के बाद भी उन्होंने काम शुरू नहीं किया और कुछ ने अधूरा छोड़ रखा है। बहुत से काम हुए मगर उनकी गुणवत्ता ठीक नहीं मिली है। ऐसी फर्म पर कार्रवाई की जा रही है