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बरेली

सीओ और इंस्पेक्टर पर होगी एफआईआर, युवक को झूठे दुष्कर्म के केस में जेल भेजने पर कोर्ट का आदेश

14 महीने पुराने दुष्कर्म मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे और दो युवकों को जेल भेजने के बाद, कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर

बरेलीSep 25, 2024 / 10:19 am

Avanish Pandey

बरेली। 14 महीने पुराने दुष्कर्म मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे और दो युवकों को जेल भेजने के बाद, कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने इस मामले में जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है और दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।
दो युवकों पर दर्ज कराया था दुष्कर्म का मुकदमा

एक महिला ने 15 अगस्त 2022 को श्रवण कुमार और गुड्डू नामक दो युवकों के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। महिला का आरोप था कि दोनों ने उसे यह कहकर साथ चलने के लिए कहा कि उसके पति एक हादसे में घायल हो गए हैं। रास्ते में दोनों ने कथित रूप से उसके साथ खेत में दुष्कर्म किया और इसका वीडियो बना लिया। महिला के अनुसार, वीडियो का इस्तेमाल कर उन्होंने बार-बार उसका शारीरिक शोषण किया और अन्य युवकों से भी दुष्कर्म कराया। महिला का यह भी आरोप था कि उन्होंने उसे ब्लैकमेल कर उससे पैसे ऐंठे और अश्लील वीडियो को पोर्न वेबसाइट पर अपलोड कर दिया।
कोर्ट ने सुनवाई कर दिया फैसला

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में गवाहों और साक्ष्यों के सामने आरोप टिक नहीं सके। छह महीने की सुनवाई के बाद, न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि पुलिस की जांच सही तरीके से नहीं की गई और मामला आरंभ से ही संदिग्ध था। इसके बावजूद, थाना प्रभारी रविंद्र कुमार और सीओ तेजवीर सिंह ने अपनी पर्यवेक्षण शक्तियों का सही ढंग से उपयोग नहीं किया और चार्जशीट दाखिल कर दी।
पुलिस अधिकारियों पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जज ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने बिना सत्य की खोज किए, आरोपपत्र दाखिल कर दिया, जिसके चलते निर्दोष युवकों को बेवजह जेल में रहना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि विवेचक और सीओ ने उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन एक्ट के पैरा 107 का उल्लंघन किया, जिसमें स्पष्ट है कि विवेचक को एक लिपिक की तरह काम नहीं करना चाहिए, बल्कि सत्य की खोज करनी चाहिए। न्यायाधीश ने एसएसपी को निर्देश दिया कि आईपीसी की धारा 219 (द्वेषपूर्ण कृत्य करने पर) के तहत थाना प्रभारी और सीओ के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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