नगर निगम के कार्यालयों और उनमें काम करने वाले कर्मचारियों को बेशकीमती रिकार्ड से शायद कोई लेना देना ही नहीं है। पुराना रिकार्ड खुले में फेंक दिया गया है। मानो यह रिकार्ड किसी काम का ही नहीं है। निगम के कर्मचारियों ने तो अंग्रेजों के समय में बनी नगर पालिका और उसके बाद महापालिका से लेकर नगर निगम बनने के रिकार्ड को रद्दी की तरह लावारिस की तरह से छोड़ दिया है। जहां पर रिकार्ड को दीमक चाट रही है। पानी में भीगकर यह फाइलें खत्म हो गई हैं। नगर निगम में कोई पुराने रिकॉर्ड देखने आएगा तो उन्हें कुछ सालों की ही फाइलें दिखाई जा रही है। धीरे धीरे करके पुरानी फाइलों को बेकार बताकर उन्हें कूड़े की रद्दी में फेंक दिया जा रहा है।
पुराने दस्तावेजों की जरूरत पड़ने पर क्या करेंगे नगर निगम से जुड़े पुराने दस्तावेजों की अगर लोगों को जरूरत पड़ जाए तो शायद निगम के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के हाथ खड़े हो सकते हैं। क्योंकि पुराने रिकॉर्ड का नामोनिशान मिटाया जा रहा है। इन रिकॉर्डों को खुले में फेंक दिया गया है। इसकी वजह क्या है कोई बोलने को तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि एक सप्ताह से नगर निगम कैंपस में यह रिकॉर्ड खुले में फेंक दिए गए हैं। नगरायुक्त निधि गुप्ता वत्स ने बताया कि रिकॉर्ड के बारे में संबंधित विभागाध्यक्ष से जानकारी ली जा रही है। अगर रिकॉर्ड किसी काम का नहीं है तो उसको खुले में न फेंका जा यह निर्देश दिए हैं। मामले में अपर नगरायुक्त से रिपोर्ट मांगी है।