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बरेली में 8042 व्यापारियों के बैंक खाते सीज, जीएसटी कार्रवाई से व्यापारियों में हड़कंप, ऐसे हटेगी खातों से रोक

रुहेलखंड मंडल में पिछले सात वर्षों से वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) जमा नहीं करने वाले व्यापारियों के बैंक खाते सीज किए जा रहे हैं।

बरेलीSep 27, 2024 / 11:27 am

Avanish Pandey

बरेली । रुहेलखंड मंडल में पिछले सात वर्षों से वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) जमा नहीं करने वाले व्यापारियों के बैंक खाते सीज किए जा रहे हैं। वाणिज्य कर विभाग ने इस महीने अब तक 8,042 बैंक खातों को सीज कर दिया है, जिससे पूरे मंडल में व्यापारियों के बीच खलबली मच गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, 30 सितंबर तक बाकी बकाएदारों के खाते भी सीज किए जाएंगे।
11742 में नहीं चुकाया बकाया वैट

2017 में वैट को खत्म कर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू किया गया था। उस समय बरेली मंडल में कई व्यापारी वैट के बकाएदार थे। कुछ ने बाद में अपना टैक्स जमा किया, लेकिन बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर और पीलीभीत जिलों में अब भी 11,742 व्यापारी वैट का बकाया चुकाने से वंचित हैं। इनमें सबसे अधिक 8,500 बकाएदार शाहजहांपुर से हैं।
कार्रवाई की शुरुआत और व्यापारी खातों की सीजिंग

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन ओपी चौबे ने बताया कि कई बार नोटिस जारी करने के बावजूद जब व्यापारियों ने बकाया टैक्स जमा नहीं किया, तो उनके बैंक खाते सीज करने की प्रक्रिया शुरू की गई। यह कार्रवाई 6 सितंबर से शुरू हुई और अब तक 8,042 व्यापारियों के बैंक खाते सीज किए जा चुके हैं। बाकी बचे 3,700 व्यापारियों के खाते 30 सितंबर तक सीज कर दिए जाएंगे। वाणिज्य कर विभाग की इस सख्त कार्रवाई के परिणामस्वरूप अब तक 40 लाख रुपये वैट के रूप में जमा हो चुके हैं।
बरेली मंडल में व्यापारियों की स्थिति

कुल 11,742 व्यापारियों ने वैट नहीं जमा किया।

6 सितंबर से नोटिस भेजे जा रहे हैं।

अब तक 8,042 व्यापारियों के खाते सीज हो चुके हैं।
3,700 व्यापारियों के खाते 30 सितंबर तक सीज किए जाएंगे।

40 लाख रुपये अब तक वसूल किए जा चुके हैं।

व्यापारियों के लिए सुझाव

एडिशनल कमिश्नर ओपी चौबे ने कहा कि जिन व्यापारियों के खाते सीज किए गए हैं, वे जल्द से जल्द अपना बकाया टैक्स जमा करें ताकि उनके खाते का अटैचमेंट हट सके। जिन व्यापारियों ने पहले ही बकाया चुका दिया है, वे चालान जमा करके अपने खाते से सीज हटवा सकते हैं।
व्यापार मंडल की प्रतिक्रिया

प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री सुदेश अग्रवाल ने विभाग की इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि व्यापारियों को कम से कम तीन बार नोटिस दिए जाने चाहिए थे, हर नोटिस के बीच एक महीने का अंतर होना चाहिए था। लेकिन विभाग ने ऐसा न करते हुए सीधे खाते सीज कर दिए, जो व्यापारियों के उत्पीड़न जैसा है।

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