गर्मियों और चिड़चिड़े व खूंखार हो जाते हैं कुत्ते
नगर निगम अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 1750 आवारा कुत्तों को एंटी रैबीज इंजेक्शन व बधियाकरण कराया था। सोसाइटी फॉर ह्यूमन एंड एनीमल वेलफेयर एजेंसी कुत्तों को पकड़ने, छोड़ने, एंटी रैबीज, बधियाकरण, इलाज का खर्च तय किया था। इसी शुल्क में खाना, एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में रखना, उपचार, दवा शामिल थी। एजेंसी के मुताबिक नगर निगम में आवारा कुत्तों की संख्या ह्यूमन जनसंख्या के हिसाब से 60 से 70 हजार के करीब है। शहर में 40 हजार से अधिक कुत्ते बिना इंजेक्शन व बधियाकरण के घूम रहे हैं। रिकार्ड के मुताबिक 40 हजार से अधिक आवारा कुत्ते निगम की सीमा में हैं।
नगर निगम अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 1750 आवारा कुत्तों को एंटी रैबीज इंजेक्शन व बधियाकरण कराया था। सोसाइटी फॉर ह्यूमन एंड एनीमल वेलफेयर एजेंसी कुत्तों को पकड़ने, छोड़ने, एंटी रैबीज, बधियाकरण, इलाज का खर्च तय किया था। इसी शुल्क में खाना, एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में रखना, उपचार, दवा शामिल थी। एजेंसी के मुताबिक नगर निगम में आवारा कुत्तों की संख्या ह्यूमन जनसंख्या के हिसाब से 60 से 70 हजार के करीब है। शहर में 40 हजार से अधिक कुत्ते बिना इंजेक्शन व बधियाकरण के घूम रहे हैं। रिकार्ड के मुताबिक 40 हजार से अधिक आवारा कुत्ते निगम की सीमा में हैं।
धीमी अभियान की रफ्तार, छह माह रहता है एंटी रैबीज का असर
आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान काफी धीमा है। एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने की रफ्तार बढ़ानी होगी। वार्ड वार इसको अंजाम देना होगा। दूसरे शहरों की तरह व्यवस्था को बरेली में भी लागू करना होगा। इससे आम लोगों को कुत्तों से राहत मिल सके। नगर निगम जिन आवारा कुत्तों को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाता है। इसका असर छह से आठ माह रहता है। निगम की आवारा कुत्तों को इंजेक्शन लगाने की चेन पूरी नहीं हो पाती है और जिनको छह से आठ माह पहले इंजेक्शन लगा था। इंजेक्शन बेअसर हो चुके हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी नगर निगम डा. आदित्य तिवारी ने बताया कि कुत्तों को प्राइमरी, बूस्टर व एनुअल डोज लगाने का नियम है। अभियान चलाकर एंटी रैबीज इंजेक्शन व बधियाकरण किया जा चुका है। दूसरे चरण की तैयारी चल रही है।
आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान काफी धीमा है। एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने की रफ्तार बढ़ानी होगी। वार्ड वार इसको अंजाम देना होगा। दूसरे शहरों की तरह व्यवस्था को बरेली में भी लागू करना होगा। इससे आम लोगों को कुत्तों से राहत मिल सके। नगर निगम जिन आवारा कुत्तों को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाता है। इसका असर छह से आठ माह रहता है। निगम की आवारा कुत्तों को इंजेक्शन लगाने की चेन पूरी नहीं हो पाती है और जिनको छह से आठ माह पहले इंजेक्शन लगा था। इंजेक्शन बेअसर हो चुके हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी नगर निगम डा. आदित्य तिवारी ने बताया कि कुत्तों को प्राइमरी, बूस्टर व एनुअल डोज लगाने का नियम है। अभियान चलाकर एंटी रैबीज इंजेक्शन व बधियाकरण किया जा चुका है। दूसरे चरण की तैयारी चल रही है।