इस तरह जागी उम्मीद अग्नि के साथ सोमवार सुबह से शाम तक के करीब आठ घंटे बिताने वाली वन विभाग की टीम का कहना है कि अग्नि नामिबिया के खुले जंगल में रहा था। बारां जिले के केलवाड़ा वन रेंज में इसी तरह का खुला जंगल है। घना जंगल नहींं होने से यहां का जंगल उसे खूब रास आया। इस रोमांचित करने वाले घटनाक्रम से वन विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि यह तो शुरूआत है, चीतों को जंगल में छोडऩे पर आगे भी बारां के जंगलों में इनके आते रहने की पूरी संभावनाएं हैं।
जिसमें नामीबिया से आया, उसी में गया अग्नि को नामीबिया से लाया गया था। उस समय जिस बॉक्स में इसे लाया गया था। केलवाड़ा के जंगल से वापस कूनो ले जाने के लिए भी उसी बॉक्स का इस्तेमाल किया गया।
मौके पर दी ऑक्सीजन
ट्रंक्यूलाइज करने के बाद चीता 50 मिनट तक बेहोश रहता है। उसे करीब 1 घंटा 13 मिनट में होश में आ जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षित ट्रंक्यूलाइजर और चिकित्सा टीम हर पल उसकी हरकत पर नजर गढ़ाए रही। टीम ने ट्रंक्यूलाइज करने के लिए दो नोट भरे थे, लेकिन वह पहले ही नोट में अचेत हो गया। इसके बाद उसे ऑक्सीजन और ड्रिप चढ़ाई गई। 50 मिनट पूरे होने से पहले चिकित्सकीय जांच और उपचार की पूरी प्रक्रिया करने के बाद उसे बॉक्स में दाखिल कराया गया। बॉक्स में दाखिल कराने के बाद टीम उसके होश में आने का इंतजार करती रही। अग्नि करीब सवा 6 बजे होश में आ गया तो कूनो नेशनल पार्क की टीम ने राहत की सांस ली। इसके बाद करीब साढ़े 6 बजे टीम अग्नि को लेकर रवाना हुई और पार्क में पहुंचकर बड़े बाड़े में उसे दाखिल कराया गया। वन विभाग की टीम का कहना है कि चीता उससे छोटे वन्य जीव बकरा, हरिण आदि को सहजता से खा लेता है, लेकिन आसपास के क्षेत्र में अग्नि द्वारा शिकार करने की जानकारी नहीं मिली। उसका पेट भी खाली था। संभवत: भूखा रहने और पैदल चलते रहने से वह थक चुका था।
ट्रंक्यूलाइज करने के बाद चीता 50 मिनट तक बेहोश रहता है। उसे करीब 1 घंटा 13 मिनट में होश में आ जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षित ट्रंक्यूलाइजर और चिकित्सा टीम हर पल उसकी हरकत पर नजर गढ़ाए रही। टीम ने ट्रंक्यूलाइज करने के लिए दो नोट भरे थे, लेकिन वह पहले ही नोट में अचेत हो गया। इसके बाद उसे ऑक्सीजन और ड्रिप चढ़ाई गई। 50 मिनट पूरे होने से पहले चिकित्सकीय जांच और उपचार की पूरी प्रक्रिया करने के बाद उसे बॉक्स में दाखिल कराया गया। बॉक्स में दाखिल कराने के बाद टीम उसके होश में आने का इंतजार करती रही। अग्नि करीब सवा 6 बजे होश में आ गया तो कूनो नेशनल पार्क की टीम ने राहत की सांस ली। इसके बाद करीब साढ़े 6 बजे टीम अग्नि को लेकर रवाना हुई और पार्क में पहुंचकर बड़े बाड़े में उसे दाखिल कराया गया। वन विभाग की टीम का कहना है कि चीता उससे छोटे वन्य जीव बकरा, हरिण आदि को सहजता से खा लेता है, लेकिन आसपास के क्षेत्र में अग्नि द्वारा शिकार करने की जानकारी नहीं मिली। उसका पेट भी खाली था। संभवत: भूखा रहने और पैदल चलते रहने से वह थक चुका था।
– चीता के बारां पहुंचने की शुरूआत है। भविष्य में भी चीतों को छोड़े जाने पर उनके यहां पहुंचने की पूरी संभावना है। इससे बारां जिले को लेकर खासी उम्मीद है। क्षेत्र चीतों के अनुकूल है। कूनों की डिस्टेंस भी ज्यादा नहीं है। खंडेला व बांझ आमली तो श्रेष्ठ है ही, शेरगढ़ व मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व को पूर्व में चीतों के अनुकूल माना जा चुका है।
दीपक गुप्ता, डीएफओ, बारां (ऑपरेशन के दौरान टीम में शामिल रहे अधिकारी) टीम ने बांझआमली और खंडेला को नामीबिया जैसा बताया जिस तरह से चीता बारां के जंगलों में आया है। क्षेत्र को मुफीद माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि शेरगढ़ को चीतों की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। कूनों के क्षेत्रफल की तुलना में चीतों की संख्या को देखते हुए चीतों की शिफ्टिंग की चर्चा थी। कूनो पार्क का 748 वर्ग किमी का इलाका चीतों के स्वभाव, संख्या, होमरेंज व टैरेटरी को देखते हुए अपर्याप्त है। ऐसे में शेरगढ़ अच्छा विकल्प हो सकता है। चीते को ट्रेंकुलाइज करने आई टीम ने केलवाड़ा रेंज के खंडेला व बांझआमली को नामीबिया की तरह का इलाका बताया है। चीतों को शेरगढ़ में लाया जाता है तो ये यह बेहतर हो सकता है। शेरगढ़ अभयारण्य के साथ आसपास की खाली पड़ी वनभूमि को इसमें शामिल करते हुए चारदीवारी कर चीतों के लिए सुरक्षित की जा सकती है। गत वर्षों में शेरगढ़ में विकास कार्य भी हुए हैं। अब कुछ और बेहतर किया जा सकता है।
वायु-अग्नि वापस बड़े बाड़े में शिफ्ट राजस्थान की सीमा में पहुंचे नर चीता अग्नि को सोमवार रात वापस बड़े बाड़े में शिफ्ट कर दिया है। वहीं इसके साथ कोएलिशन में रहने वाले नर चीता वायु को भी वापस इसी के साथ बाड़े में शिफ्ट किया गया है। नर चीते वायु और अग्नि को 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की खेप में लाया गया था। इस बार गत 17 दिसंबर को दोनों को खुले जंगल में छोड़ा गया, लेकिन कूनो से बाहर निकलने के कारण वापस बाड़े में शिफ्ट करना पड़ा।
अब पवन और वीरा ही बाहर पिछले एक सप्ताह में कूनो के खुले जंगल में 4 चीते छोड़े गए थे, लेकिन वायु और अग्नि को बाड़े में शिफ्ट करने के बाद अब नर चीता पवन (नामीबियाई नाम ओबान) और मादा चीता वीरा (दक्षिणी अफ्रीकी नाम तस्वालू उपवयस्क मादा) ही बाहर हैं। फिलहाल ये दोनों कूनो की सीमा में ही हैं। उल्लेखनीय है कि कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में कुल 14 वयस्क और 1 चीता शावक मौजूद हैं।
टाइमलाइन 17 दिसम्बर : अहेरा गेट के पास पारोंद (मप्र) के जंगल में रिलीज किया 20 दिसम्बर : कूनो नेशनल पार्क की सीमा से बाहर निकला 21, 22, 23 दिसम्बर : मध्यप्रदेश को कराहल और बड़ौदा वन रेंज में कदमताल करता रहा
24 दिसम्बर : रात संूसवाड़ा (मप्र) के जंगल से बारां सीमा में पहुंचा। फिर चलना शुरू किया ओर पूरी रात चलता रहा 25 दिसम्बर : केलवाड़ा वन रेंज (बारां) में 15 किमी आगे जैतपुरा-माधोपुरा वन क्षेत्र में पहुंचा
25 दिसम्बर : दोपहर 1.06 बजे गोरधनपुरा प्लांटेशन के समीप एक पेड़ के नीचे बैठा रहा 25 दिसम्बर : दोपहर को फिर चीता अग्नि ने चलना शुरू किया 1-2 किमी चलने के बाद शाम करीब 3.30 बजे बैठ गया
शाम 5 बजे ट्रेंक्यूलाइज करने वाली टीम पहुंची और ट्रंक्यूलाइज किया