जिले में सर्पदंश के इन असमान्य आंकड़ों के बाद भी यहां पीड़ित और परिजन उपचार के लिए अस्पताल से पहले भोपों की दर पर धोक लगाने से हिचकिचा नहीं रहे हैं। इसके चलते समय पर उपचार न मिलने के कारण सर्पदंश को काल का ग्रास बनना पड़ता है।
जागरुकता के अभाव में ये हाल सिर्फ बांसवाड़ा में ही नहीं है, बल्कि डूंगरपुर में भी सर्पदंश के पीड़ितों को भोपों के पास जाने के कारण जान से हाथ धोना पड़ रहा है। सर्पदंश की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते 15 महीनों में 3430 एंटी स्नेक वेनम की सप्लाई जिले के सरकारी अस्पतालों में की गई। ताकि सर्पदंश से पीड़ितों को उपचार मिल सके।
22 दिनों में ही 24 लोगों को काटा, एक की मौत
जुलाई माह के इन 22 दिनों में 23 लोग सर्पदंश के शिकार हुए हैं। वहीं, इनसे दीगर एक की मौत की भी बताई जा रही है। इनमें अधिकांश पीड़ित ग्रामीण क्षेत्र के हैं। यह भी पढ़ें
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वागड़ के दो मामले देते हैं सीख
केस-1साबला थाना क्षेत्र के मुंगेड़ बकराइया गांव में एक महिला को खेतों में काम करने के दौरान सर्प ने काट लिया। इस पर परिजन महिला को चिकित्सालय ले जाने के बजाय पहले भोपे के पास ले गए। इसके बाद तबीयत खराब होने पर महिला को चिकित्सालय ले गए। उपचार में देरी से महिला की मौत हो गई।
केस -02
सरेड़ी बड़ी क्षेत्र के एक गांव एक बच्चे को सर्पदंश के बाद परिजन उसे अस्पताल ले जाने की बजाय भोपे के पास ले गए। जिसके बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। यदि परिजन बच्चे को समय पर अस्पताल ले जाते ते शायद बच्चे का जीवन बच जाता।
सरेड़ी बड़ी क्षेत्र के एक गांव एक बच्चे को सर्पदंश के बाद परिजन उसे अस्पताल ले जाने की बजाय भोपे के पास ले गए। जिसके बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। यदि परिजन बच्चे को समय पर अस्पताल ले जाते ते शायद बच्चे का जीवन बच जाता।
ये विषैली प्रजातियां हैं बांसवाड़ा में
कोबरा कॉमन कैरेत रसेल वाइपर शॉ स्केल्ड वाइपर फैक्ट फाइल26 प्रजातियां पाई जाती है सांपों की प्रदेश में
22 प्रजातियां विषविहीन 04 प्रजातियों में होता है विष 13 विष विहीन प्रजातियां पाई जाती हैं बांसवाड़ा में (जैसा कि सर्प प्रजातियों के जानकार सज्जन सिंह राठौड़ ने बताया)