यों उलझ रहा पेंच
2022-23 से प्रारंभ इस योजना में गैरसरकारी विद्यालयों में 2021-22 से आठवीं से अध्ययनरत छात्राओं को पात्र मानते हुए लाभान्वित करना है। इसमें कक्षा नौ और दस के लिए निर्धारित यूनिट कॉस्ट के साथ दस फीसदी रुपए राशि दो किस्त में और कक्षा ग्यारह और बारह के लिए बालिका की निर्धारित यूनिट कॉस्ट के साथ बीस प्रतिशत फीस राशि सीधे बैंक खाते में जमा कराने और फिर उनके द्वारा खाते से स्कूल में राशि जमा कराने की व्यवस्था दी गई। फिर पेंच यह आ गया कि सरकार से पैसा बालिकाओं के खाते में आने बंद हो गए, वहीं बाकियात बनी रह गई।
2022-23 से प्रारंभ इस योजना में गैरसरकारी विद्यालयों में 2021-22 से आठवीं से अध्ययनरत छात्राओं को पात्र मानते हुए लाभान्वित करना है। इसमें कक्षा नौ और दस के लिए निर्धारित यूनिट कॉस्ट के साथ दस फीसदी रुपए राशि दो किस्त में और कक्षा ग्यारह और बारह के लिए बालिका की निर्धारित यूनिट कॉस्ट के साथ बीस प्रतिशत फीस राशि सीधे बैंक खाते में जमा कराने और फिर उनके द्वारा खाते से स्कूल में राशि जमा कराने की व्यवस्था दी गई। फिर पेंच यह आ गया कि सरकार से पैसा बालिकाओं के खाते में आने बंद हो गए, वहीं बाकियात बनी रह गई।
अब जबकि एक सत्र खत्म हो गया। नए सत्र में प्रवेश भी हो गए, तब भी फीस नहीं भरने पर स्कूल से उगाही शुरू हुई। चूंकि बालिका आरटीई के दायरे में है, लिहाजा अभिभावक बुलाने पर माथापच्ची और बढ़ गई। खाते में फीस नहीं आने पर वे हाथ खड़े कर रहे हैं तो स्कूल प्रबंधन बिना फीस कैसे आगे की व्यवस्था देखे, इसे लेकर उलझ गए हैं। ऐसे में इनमें चल रहे विवाद का असर बालिकाओं के जहन पर पड़ रहा है।
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इनका कहना हैबालिकाओं की फीस का सालभर से पुनर्भरण नहीं होने से निजी शिक्षण संस्थान परेशान हैं। पोर्टल पर वैरिफिकेशन शो कर रहा है। अभिभावक आरटीई में पैसा नहीं आना बताकर टाल रहे हैं तो विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है। नए सेशन में प्रवेश दिए जा चुके हैं, लेकिन भुगतान नहीं होता है तो अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्थाएं करना मुश्किल रहेगा। -तरुण त्रिवेदी, जिलाध्यक्ष, निजी शिक्षण संस्था संगठन, बांसवाड़ा
ऑनलाइन सत्यापन के नाम पर एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मा
मामले पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के आरटीई प्रभाग से चर्चा पर बताया गया कि पोर्टल पर सत्यापन सात बालिकाओं का ही होने से उनके बिल बनाकर भेज चुके हैं, जबकि 131 के जन आधार व बैंक खाते से लिंक नहीं होने से वैरिफिकेशन नहीं हुआ है। स्कूलें और अभिभावक ध्यान नहीं दे रहे, जिससे भुगतान अटका है।
मामले पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के आरटीई प्रभाग से चर्चा पर बताया गया कि पोर्टल पर सत्यापन सात बालिकाओं का ही होने से उनके बिल बनाकर भेज चुके हैं, जबकि 131 के जन आधार व बैंक खाते से लिंक नहीं होने से वैरिफिकेशन नहीं हुआ है। स्कूलें और अभिभावक ध्यान नहीं दे रहे, जिससे भुगतान अटका है।
हालांकि विभाग ग्रीष्मावकाश के बाद पोर्टल खुलने पर सत्यापन करवाकर बालिकाओं का बीते सत्र का भी भुगतान कराने की बात कर रहा है। दूसरी ओर, निजी शिक्षण संस्थान बता रहे हैं कि पोर्टल पर वे जन आधार और बैंक खाते अपडेट कर चुके हैं। लिंक बता भी रहा है, बावजूद इसके विभागीय ढिलाई से भुगतान नहीं हो रहा और उन्हें बेवजह उलझना पड़ रहा है।
‘बालिकाओं की फीस का मामला संज्ञान में आया है। कहां एरर है, इसे दिखवाकर जल्द ही निस्तारण करवाया जाएगा।’ –मावजी खांट, सीडीईओ, माध्यमिक शिक्षा बांसवाड़ा