ईसरवाला गांव निवासी अमरु ने बताया कि उसकी 12 वर्षीय बच्ची ममता कक्षा पांच में पढ़ती है। कुछ महीनों ने उसकी तबीयत खराब है। एक माह पूर्व भी उसकी तबीयत बिगड़ी थी तो उसे अस्पताल लाए थे। जहां उसके खून चढ़ाया गया था और कुछ दिन में वो ठीक हो गई थी। उसके कुछ दिन बाद उसकी तबीयत फिर बिगडऩे लगी। खाना पीना छोड़ दिया, शरीर में सूजन आ गई, शरीर एकदम कमजोर हो गया। फिर बच्ची को चंदूजी का गढ़ा भोपे के पास ले गए, जहां चार-पांच दिन झाडफ़ूंक कराई। लेकिन तबीयत में सुधार की बजाय हालत और भी बिगड़ गई। इस पर सोमवार शाम महात्मा गांधी चिकित्सालय लेकर पहुंचे।
चिकित्सकों के अनुसार बच्ची में कोई अन्य बीमारी नहीं है, लेकिन हीमोग्लोबीन काफी कम है। रक्त चढ़ाने के बाद उसकी तबीयत में सुधार हो जाएगा। इसके अलावा बुखार की समस्या अवश्य उसके थी। बच्ची का उपचार किया जा रहा है, जल्द ही सुधार होगा।
जिले में महज दो दिन में ही समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण तीन बच्चों को जान से हाथ धोना पड़ा है। तीनों ही बच्चों को जहरीले जानवर के काटने के बाद परिजन उन्हें अस्पताल नहीं नहीं ले गए बल्कि भोपों के चक्कर में परिजनों ने समय गंवा दिया। काफी समय निकल जाने के बाद वे अस्पताल पहुंचे। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।