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राजस्थान में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए विभाग सख्त, पंडित, हलवाई और टैंट वालों पर भी हो सकती है कार्रवाई

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बांसवाड़ाMay 01, 2019 / 01:44 pm

deendayal sharma

राजस्थान में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए विभाग सख्त, पंडित, हलवाई और टैंट वालों पर भी हो सकती है कार्रवाई

बांसवाड़ा. आगामी 7 मई को आखातीज और 18 मई को पीपल पूर्णिमा पर अबूझ सावों के मद्देनजर महिला-बाल विकास विभाग और सम्बन्धित सरकारी एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। बाल विवाह रोकने के लिए दिशा-निर्देशों और अन्य उपायों के साथ नियन्त्रण कक्ष भी बनाए गए हैं। विभाग ने शहरों से लेकर गांवों तक विभिन्न स्तरों पर जिम्मेदारी तय की है। जिलों में प्रशासन की निगरानी में शिक्षक, पटवारी, ग्रामसेवक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित अन्य कर्मचारी बाल विवाह पर नजर रखेंगे।
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मिल सकती है सजा
विभाग के मुताबिक बाल विवाह पर माता-पिता सहित पंडित, टैंट वाले, हलवाई और शादी में शामिल होने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। बाल विवाह अधिनियम 2006 के तहत सजा-जुर्माने का प्रावधान है। बाल विवाह की शिकायत बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन-1098, उपखंड मजिस्टे्रट, तहसीलदार, पुलिस, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्टे्रट, 181, रालसा, मेट्रोपॉलियन मजिस्ट्रेट को मौखिक, लिखित या सोशल मीडिया के जरिए की जा सकती है।
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दो साल में रुकवाए 1500 बाल विवाह
राज्य में पिछले 2 साल में बाल विवाह के मामले राजसमंद, भीलवाड़ा, टोंक, बीकानेर, नागौर, चूरू और चित्तौडगढ़़ में ज्यादा सामने आए। इस दौरान 2017-18 में 700 और 2018-19 में 800 बाल विवाह रुकवाए गए।

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