विभाग के मुताबिक बाल विवाह पर माता-पिता सहित पंडित, टैंट वाले, हलवाई और शादी में शामिल होने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। बाल विवाह अधिनियम 2006 के तहत सजा-जुर्माने का प्रावधान है। बाल विवाह की शिकायत बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन-1098, उपखंड मजिस्टे्रट, तहसीलदार, पुलिस, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्टे्रट, 181, रालसा, मेट्रोपॉलियन मजिस्ट्रेट को मौखिक, लिखित या सोशल मीडिया के जरिए की जा सकती है।
राज्य में पिछले 2 साल में बाल विवाह के मामले राजसमंद, भीलवाड़ा, टोंक, बीकानेर, नागौर, चूरू और चित्तौडगढ़़ में ज्यादा सामने आए। इस दौरान 2017-18 में 700 और 2018-19 में 800 बाल विवाह रुकवाए गए।