अस्पताल पहुंचे परिजनों ने ‘आत्मा’ ले जाने का उपक्रम किया और फिर रवाना हो गए। कलिंजरा से आए इन लोगों के परिवार के बुजुर्ग सदस्य की कुछ समय पूर्व अस्पताल में मौत हो गई थी। इसके चलते घर में दुखों और कष्टों से परेशान होकर परिजन ‘आत्मा’ लेने पहुंचे।
चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल के कार्मिक भी परिजनों के इस उपक्रम को करने में शामिल हो गए, बजाए इसे रोकने के। अस्पताल के इंजेक्शन रूम में यह सब होता रहा और अस्पताल प्रशासन खामौश बना रहा। अस्पताल में यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी हॉस्पिटल में आत्मा ले जाने की घटनाएं सामने आती रही है। अक्सर ‘आत्मा’ ले जाने का यह उपक्रम होता रहता है लेकिन इस पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
क्या है इसके पीछे कारण जानकारों की मानें तो अस्पताल में जब किसी की मौत हो जाती है। वहीं घर में अशांति के चलते परिजन किसी भौपे के पास पहुंचते हैं। इस दौरान भौपा आत्मा का भय दिखाकर अस्पताल से आत्मा लाने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही परिवार में उपजे कष्टों से निवारण के उपाय बताता है। इससे प्रेरित होकर मृतक के परिजन उसकी आत्मा लाने के लिए ये सब जतन करने पर मजबूर हो जाते हैं।