गौरतलब है कि पिछले दिनों रतलाम जिले में हुए कथित अभद्रता के इस घटनाक्रम को लेकर बीएपी में आक्रोश रहा। इसे लेकर ज्ञापनों के जरिए डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग भी उठी। इसके बाद रतलाम में धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम था। इसके लिए बांसवाड़ा से बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल, बीएपी के हेमंत राणा आदि कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन में शामिल होने निकले, लेकिन राज्य के बॉर्डर पर सरवन पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया। इस दौरान मौके पर पुलिस के साथ कार्यकर्ताओं की खासी बहसबाजी हुई।
बेवजह पाबंद करवाकर वापस राजस्थान भेज दिया
बीएपी के प्रदेश उपाध्यक्ष गणेश डामोर ने बताया कि वे स्वयं में प्रदर्शनकारियों में शामिल होने के लिए निकले, लेकिन बॉर्डर पर एमपी पुलिस ने निकलने नहीं दिया। डामोर ने बताया कि उन्हें पुलिस ने बेवजह पाबंद करवाकर वापस राजस्थान भेज दिया, जिससे पहुंच नहीं पाए। डामोर ने बताया कि हालांकि विधायक पटेल एवं अन्य पदाधिकारी बाद में दूसरे रास्तों से पैदल निकले और जैसे-तैस प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए। मध्यप्रदेश पुलिस की ओर से चित्तौड़, गुजरात की तरफ से आने वाले समर्थकों को भी पहुंचने नहीं दिया गया। इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए बीएपी पदाधिकारियों ने मध्यप्रदेश सरकार और पुलिस के खिलाफ रोष जाहिर किया है। उधर, सैलाना पुलिस थाने के टीआई पृथ्वीराजसिंह खलाटे ने बताया कि रतलाम जिला मुख्यालय पर बीएपी के प्रदर्शन को अनुमति नहीं दी गई। बावजूद भीड़ पहुंचने पर सरवन में ही पुलिस ने राजस्थान के समर्थकों को रोक दिया, जिससे वे सैलाना तक भी नहीं पहुंच पाए। इस बीच बागीदौरा विधायक पटेल से फोन पर संपर्क के प्रयास किए गए, लेकिन उनका फोन नो रिप्लाई रहा।