8 लाख से अधिक मिले थे मत
राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) को कुल मतों में से 8 लाख 20 हजार 831 वोट मिले थे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि रोत के हमनाम के दो प्रत्याशी भी मैदान में थे। इन दोनों हमनाम प्रत्याशियों को 1 लाख 16 हजार 388 मत मिले थे। वहीं, रोत ने मतदान होने से पहले ही आरोप लगाया था कि उन्हें हराने के लिए भाजपा ने जानबूझकर उनके हमनाम के दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इससे उनकी जीत के अंतर में भी फर्क पड़ा।
राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) को कुल मतों में से 8 लाख 20 हजार 831 वोट मिले थे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि रोत के हमनाम के दो प्रत्याशी भी मैदान में थे। इन दोनों हमनाम प्रत्याशियों को 1 लाख 16 हजार 388 मत मिले थे। वहीं, रोत ने मतदान होने से पहले ही आरोप लगाया था कि उन्हें हराने के लिए भाजपा ने जानबूझकर उनके हमनाम के दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इससे उनकी जीत के अंतर में भी फर्क पड़ा।
रोत ने आगे कहा कि अगर ये दो हमनाम प्रत्याशी मैदान में नहीं होते तो उनकी जीत का अंतर और अधिक होता। चुनावी मैदान में उतरे राजकुमार पुत्र हीरालाल को 74 हजार 598, जबकि राजकुमार पुत्र प्रेमजी को 41 हजार 790 मत मिले। इन दोनों प्रत्याशियों को बीएपी के आधिकारिक चुनावी चिन्ह से मिलते जुलते चिन्ह मिले थे। यहीं वजह है कि दोनों प्रत्याशियों को मिले मतों को जोड़ा जाए तो 1 लाख 16 हजार 388 का आंकड़ा बैठता है। इससे रोत की जीत का फासला कम हो गया।
डामोर के डटे रहने से भी हुआ नुकसान
मतदान से पहले कांग्रेस ने भले ही बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से अरविंद सीता दामोर (Arvind Sita Damor) की उम्मीदवारी का ऐलान किया था, लेकिन बाद में बीएपी प्रमुख रोत के समर्थन में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की टिकट वापस लेने का ऐलान कर दिया था। हालंाकि, डामोर ने पार्टी हाई कमान का फैसला मानने से इनकार कर दिया और वह भी चुनावी मैदान में डटे रहे। इससे भी रोत को नुकसान हुआ क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी को भी 60 हजार से अधिक मत मिले। डामोर अगर चुनाव नहीं लड़ते तो रोत की जीत का मार्जिन और अधिक होता।
मतदान से पहले कांग्रेस ने भले ही बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से अरविंद सीता दामोर (Arvind Sita Damor) की उम्मीदवारी का ऐलान किया था, लेकिन बाद में बीएपी प्रमुख रोत के समर्थन में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की टिकट वापस लेने का ऐलान कर दिया था। हालंाकि, डामोर ने पार्टी हाई कमान का फैसला मानने से इनकार कर दिया और वह भी चुनावी मैदान में डटे रहे। इससे भी रोत को नुकसान हुआ क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी को भी 60 हजार से अधिक मत मिले। डामोर अगर चुनाव नहीं लड़ते तो रोत की जीत का मार्जिन और अधिक होता।