scriptदक्षिण पश्चिम रेलवे क्षेत्र में भी ट्रेने भरेंगी फर्राटा! | गति बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा प्रस्ताव | Patrika News
बैंगलोर

दक्षिण पश्चिम रेलवे क्षेत्र में भी ट्रेने भरेंगी फर्राटा!

गति बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा प्रस्ताव

स्वीकृति मिलने के बाद शुरू होगा कार्य

बेंगलूरु. रेल यात्रा में लगने वाले समय को कम करने के लिए दक्षिण पश्चिम रेलवे अपने क्षेत्र में सभी रेलवे ट्रैक की गति बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा है। इससे जहां यात्रा के समय में कटौती होगी वहीं ट्रैक खाली होने पर अन्य ट्रेनों का परिचालन सुगमता से किया जा सकेगा। दपरे क्षेत्र में अभी तक अधिकतम 110 किलोमीटर की गति स्वीकृत है। इसके चलते ट्रेन भी अधिकतम 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से अधिक नहीं चल सकती हैं।

ट्रैक फिटमेंट विश्लेषण
दपरे के विभिन्न मंडलों में बढ़ी हुई गति के लिए बुनियादी ढांचे में भी परिवर्तन किया जाएगा। दपरे में ट्रैक की कुल लम्बाई 5346.621 किलोमीटर है। इसमें से 2360.255 किलोमीटर ट्रैक 110 किलोमीटर प्रति घंटा से ट्रेन चलाने के योग्य है। इसके अतिरिक्त 1155.192 किलोमीटर का ट्रैक 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए योग्य है जबकि 858.212 किलोमीटर के ट्रैक पर 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन किया जा सकता है। इसके अलावा 751.655 किलोमीटर का ट्रैक 60 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा और 221.301 किलोमीटर का ट्रैक 60 किलोमीटर प्रति घंटा प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के योग्य है। दपरे के मिरज-लोंडा खंड में यात्री ट्रेनों के लिए 110 किलोमीटर प्रति घंटा जबकि हुब्बल्ली-बल्लारी खंड पर 110 तथा गदग-विजयपुर खंड 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ट्रैक उपयुक्त है।

गति बढ़ाने का यह है प्रस्ताव
बेंगलूरु सिटी-जोलारपेट और बेंगलूरु सिटी-धर्मावरम के बीच 110 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। इसके अतिरिक्त बेंगलूरु-हुब्बल्ली-धारवाड़ मार्ग के लिए डिवीजन स्तर पर काम चल रहा है, जिसे मंजूरी मिलने पर 491.49 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी। इससे इस खंड की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा की जा सकेगी।

अन्य परियोजना में चिक्कबाणावर में दोहरी सिग्नल प्रणाली का प्रावधान शामिल है। यह बेंगलूरु मंडल के नेलमंगला-हासन खंड पर है। इस पर करीब 5.9 करोड़ की लागत आएगी और इस खंड पर ट्रेनों को 130 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से दौड़ाने का लक्ष्य है।

ट्रेनों की गति कम होने का कारण

बुनियादी ढांचा: कम गति वाले अनुभागों को संसाधन की कमी का सामना करना पड़ता है। इनमें आउट ट्रैक, अपर्याप्त गिट्टी और पुराने जर्जर पुलों और सुरंग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त ट्रेनों में उपयोग किए जाने वाले कोचों और वैगनों का प्रकार भी गति निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है।
परिचालन गति: कर्व और ढाल, तीव्र मोड़ या तीव्र ढाल वाले अनुभाग ट्रेन की गति को प्रभावित करते हैं। इसलिए इनमें बदलाव किया जाएगा ताकि ट्रेनों का सुरक्षित संचालन हो सके।

लेवल क्रॉसिंग: बार-बार लेवल क्रॉसिंग वाले अनुभागों पर अक्सर गति प्रतिबंध लगाया जाता है। यह सुनिश्चित हो कि वाहन या पैदल यात्री ट्रैक पार नहीं कर सके।
स्टेशन का बुनियादी ढांचा: छोटे प्लेटफॉर्म या सीमित सुविधाओं वाले स्टेशनों पर यात्री आसानी से चढ़ सके और उतर सके इसके लिए ट्रेनों की गति कम रखी जाती है। इसमें सुधार की जरूरत है।

गति बढ़ाने के लिए यह है जरूरी

तेज गति के लिए मोड़ों को उपयुक्त बनाने के लिए सुपर एलिवेशन को बढ़ाना, ट्रैक की बैलेस्टिंग, ट्रैक की टैम्पिंग, दोषपूर्ण वेल्ड को हटाना। सामान्य स्विच एक्सपेंशन जोड़ों को ट्रैक से हटाना, नवीनतम ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (टीआरसी) रन विश्लेषण और ओएमएस के आधार पर ट्रैक निगरानी (दोलन निगरानी प्रणाली), अतिक्रमण वाले स्थानों को चिह्नित कर उसे हटाना।
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इनका कहना है
दक्षिण पश्चिम रेलवे के क्षेत्राधिकार के तीनों रेल मंडलों के विभिन्न खंड में रेलवे ट्रैक की गति बढ़ाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो दक्षिण पश्चिम रेलवे के क्षेत्राधिकार में ट्रेनों की गति बढ़ सकेगी जिससे यात्रा के समय में कटौती होना संभव है।

डॉ. मंजूनाथ कनमाड़ी, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, दपरे

बैंगलोरMay 01, 2024 / 04:27 pm

Yogesh Sharma

गति बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा प्रस्ताव

स्वीकृति मिलने के बाद शुरू होगा कार्य

बेंगलूरु. रेल यात्रा में लगने वाले समय को कम करने के लिए दक्षिण पश्चिम रेलवे अपने क्षेत्र में सभी रेलवे ट्रैक की गति बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा है। इससे जहां यात्रा के समय में कटौती होगी वहीं ट्रैक खाली होने पर अन्य ट्रेनों का परिचालन सुगमता से किया जा सकेगा। दपरे क्षेत्र में अभी तक अधिकतम 110 किलोमीटर की गति स्वीकृत है। इसके चलते ट्रेन भी अधिकतम 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से अधिक नहीं चल सकती हैं।
ट्रैक फिटमेंट विश्लेषण

दपरे के विभिन्न मंडलों में बढ़ी हुई गति के लिए बुनियादी ढांचे में भी परिवर्तन किया जाएगा। दपरे में ट्रैक की कुल लम्बाई 5346.621 किलोमीटर है। इसमें से 2360.255 किलोमीटर ट्रैक 110 किलोमीटर प्रति घंटा से ट्रेन चलाने के योग्य है। इसके अतिरिक्त 1155.192 किलोमीटर का ट्रैक 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए योग्य है जबकि 858.212 किलोमीटर के ट्रैक पर 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन किया जा सकता है। इसके अलावा 751.655 किलोमीटर का ट्रैक 60 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा और 221.301 किलोमीटर का ट्रैक 60 किलोमीटर प्रति घंटा प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के योग्य है। दपरे के मिरज-लोंडा खंड में यात्री ट्रेनों के लिए 110 किलोमीटर प्रति घंटा जबकि हुब्बल्ली-बल्लारी खंड पर 110 तथा गदग-विजयपुर खंड 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ट्रैक उपयुक्त है।
गति बढ़ाने का यह है प्रस्ताव

बेंगलूरु सिटी-जोलारपेट और बेंगलूरु सिटी-धर्मावरम के बीच 110 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। इसके अतिरिक्त बेंगलूरु-हुब्बल्ली-धारवाड़ मार्ग के लिए डिवीजन स्तर पर काम चल रहा है, जिसे मंजूरी मिलने पर 491.49 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी। इससे इस खंड की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा की जा सकेगी।
अन्य परियोजना में चिक्कबाणावर में दोहरी सिग्नल प्रणाली का प्रावधान शामिल है। यह बेंगलूरु मंडल के नेलमंगला-हासन खंड पर है। इस पर करीब 5.9 करोड़ की लागत आएगी और इस खंड पर ट्रेनों को 130 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से दौड़ाने का लक्ष्य है। ट्रेनों की गति कम होने का कारण
बुनियादी ढांचा

कम गति वाले अनुभागों को संसाधन की कमी का सामना करना पड़ता है। इनमें आउट ट्रैक, अपर्याप्त गिट्टी और पुराने जर्जर पुलों और सुरंग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त ट्रेनों में उपयोग किए जाने वाले कोचों और वैगनों का प्रकार भी गति निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है। परिचालन गति: कर्व और ढाल, तीव्र मोड़ या तीव्र ढाल वाले अनुभाग ट्रेन की गति को प्रभावित करते हैं। इसलिए इनमें बदलाव किया जाएगा ताकि ट्रेनों का सुरक्षित संचालन हो सके।
लेवल क्रॉसिंग

बार-बार लेवल क्रॉसिंग वाले अनुभागों पर अक्सर गति प्रतिबंध लगाया जाता है। यह सुनिश्चित हो कि वाहन या पैदल यात्री ट्रैक पार नहीं कर सके। स्टेशन का बुनियादी ढांचा: छोटे प्लेटफॉर्म या सीमित सुविधाओं वाले स्टेशनों पर यात्री आसानी से चढ़ सके और उतर सके इसके लिए ट्रेनों की गति कम रखी जाती है। इसमें सुधार की जरूरत है। गति बढ़ाने के लिए यह है जरूरी
तेज गति के लिए मोड़ों को उपयुक्त बनाने के लिए सुपर एलिवेशन को बढ़ाना, ट्रैक की बैलेस्टिंग, ट्रैक की टैम्पिंग, दोषपूर्ण वेल्ड को हटाना। सामान्य स्विच एक्सपेंशन जोड़ों को ट्रैक से हटाना, नवीनतम ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (टीआरसी) रन विश्लेषण और ओएमएस के आधार पर ट्रैक निगरानी (दोलन निगरानी प्रणाली), अतिक्रमण वाले स्थानों को चिह्नित कर उसे हटाना। ———————–
इनका कहना है

दक्षिण पश्चिम रेलवे के क्षेत्राधिकार के तीनों रेल मंडलों के विभिन्न खंड में रेलवे ट्रैक की गति बढ़ाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो दक्षिण पश्चिम रेलवे के क्षेत्राधिकार में ट्रेनों की गति बढ़ सकेगी जिससे यात्रा के समय में कटौती होना संभव है।
डॉ. मंजूनाथ कनमाड़ी, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, दपरे

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