अखिल भारतीय अगरबत्ती विनिर्माता संघ के अध्यक्ष शरत बाबू ने बुधवार को कहा कि भारतीय अगरबत्ती उद्योग सबसे जीवंत कुटीर उद्योगों में से एक है, जो देश में 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान कर रहा है। पिछले चार वर्षों में अगरबत्ती निर्यात उद्योग 15 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है और अगले पांच वर्षों में यह निर्यात का आंकड़ा 12,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। वहीं देश में घरेलू स्तर पर फिलहाल करीब 7000 करोड़ रुपए का सालाना अगरबत्ती कारोबार है, जिसमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सर्वाधिक अगरबत्ती मांग वाले राज्य हैं।
हर बाजार की अलग मांग
भारतीय अगरबत्ती का प्रमुख बाजार खाड़ी देश, यूरोप और अफ्रीका है। माना जाता है कि इन देशों में हाल के समय में ध्यान की परंपरा बढ़ी है और ध्यान के दौरान सुगंधित वातावरण बनाए रखने के लिए लोग बड़े स्तर पर अगरबत्ती का प्रयोग करते हैं। इसी वजह से भारतीय अगरबत्ती की मांग भी विदेशों में बढ़ी है। खाड़ी देशों में जहां तेज खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग ज्यादा है, वहीं यूरोपीय देशों में फलों की खुशबू और हल्के फूलों की खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग है। अफ्रीकी देशों में लेमनग्रास और सिट्रोनेला ग्रास जैसी तेज खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग है। इनके विपरीत भारतीय बाजार में चंदन, गुलाब, मोगरा, चम्पा और चमेली की खुशबू ज्यादा पसंद की जाती है।
भारतीय अगरबत्ती का प्रमुख बाजार खाड़ी देश, यूरोप और अफ्रीका है। माना जाता है कि इन देशों में हाल के समय में ध्यान की परंपरा बढ़ी है और ध्यान के दौरान सुगंधित वातावरण बनाए रखने के लिए लोग बड़े स्तर पर अगरबत्ती का प्रयोग करते हैं। इसी वजह से भारतीय अगरबत्ती की मांग भी विदेशों में बढ़ी है। खाड़ी देशों में जहां तेज खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग ज्यादा है, वहीं यूरोपीय देशों में फलों की खुशबू और हल्के फूलों की खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग है। अफ्रीकी देशों में लेमनग्रास और सिट्रोनेला ग्रास जैसी तेज खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग है। इनके विपरीत भारतीय बाजार में चंदन, गुलाब, मोगरा, चम्पा और चमेली की खुशबू ज्यादा पसंद की जाती है।