भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि, भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन का सपना अब आकार लेने लगा है। गगनयान मिशन के तहत लांच किए जाने वाले जी-1 मिशन के लिए प्रक्षेपणयान एचएलवीएम-3 का इंटीग्रेशन जल्द शुरू होगा। एचएलवीएम-3 के ठोस साइड बूस्टर (एचएस-200) को इंटीग्रेशन के लिए इसरो उत्पादन संयंत्र से लांच परिसर भेज दिया गया है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो यह मिशन जनवरी में लांच करने की योजना है।
चरम परिस्थितियों में परखी जाएंगी प्रणालियां
इस बीच मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पहला मानव रहित मिशन (जी-1) कई दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रह सकता है। संभव है कि यह मिशन पृथ्वी की कक्षा में एक सप्ताह गुजारे। इसमें भेजे जाने वाली हर प्रणालियों को अत्यंत चरम परिस्थितियों में परखा जाएगा। इस मिशन में मुख्यत: उड़ान प्रणालियों को प्रदर्शित किया जाना है। इसमें मानव रेटेड प्रक्षेपण यान (एचएलवीएम-3) को परखा जाएगा जबकि कू्र मॉड्यूल की ट्रैकिंग, कू्र मॉड्यूल को धरती की कक्षा में स्थापित करना, परखना और पुन: उसे धरती पर उतारना लक्ष्य होगा। वापसी के दौरान थर्मल प्रोटेक्शन और अन्य प्रणालियों की जांच होगी। मानव रोबोट व्योममित्रा को पहले मिशन में भेजने की योजना नहीं है।
इस बीच मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पहला मानव रहित मिशन (जी-1) कई दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रह सकता है। संभव है कि यह मिशन पृथ्वी की कक्षा में एक सप्ताह गुजारे। इसमें भेजे जाने वाली हर प्रणालियों को अत्यंत चरम परिस्थितियों में परखा जाएगा। इस मिशन में मुख्यत: उड़ान प्रणालियों को प्रदर्शित किया जाना है। इसमें मानव रेटेड प्रक्षेपण यान (एचएलवीएम-3) को परखा जाएगा जबकि कू्र मॉड्यूल की ट्रैकिंग, कू्र मॉड्यूल को धरती की कक्षा में स्थापित करना, परखना और पुन: उसे धरती पर उतारना लक्ष्य होगा। वापसी के दौरान थर्मल प्रोटेक्शन और अन्य प्रणालियों की जांच होगी। मानव रोबोट व्योममित्रा को पहले मिशन में भेजने की योजना नहीं है।
पहला मिशन मानव रहित मगर, जीवों के साथ
भले ही जी-1 मिशन मानव रहित होगा लेकिन, 20 कंटेनर्स में मक्खियों (फू्रट फ्लाई) को भरकर भेजने की योजना है। प्रत्येक कंटेनर में 30-40 फू्रट फ्लाई हो सकती हैं। इसका मकसद अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले यात्रियों को होने वाले किडनी स्टोन का अध्ययन करना है। इसरो, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइएसटी) और धारवाड़ की यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज (यूएएस) के वैज्ञानिक इसके लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दरअसल, मक्खियों में 77 प्रतिशत ऐसे जीन्स पाए जाते हैं, जो इंसानों की बीमारियों का कारण बनते हैं। मक्खियों का उत्जर्सन तंत्र बहुत हद तक इंसानों की तरह होता है। अगर इन मक्खियों को अंतरिक्ष में रहने पर स्टोन की परेशानी होती है, तो इससे अंतरिक्ष यात्रियों को होने वाले किडनी स्टोन का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
भले ही जी-1 मिशन मानव रहित होगा लेकिन, 20 कंटेनर्स में मक्खियों (फू्रट फ्लाई) को भरकर भेजने की योजना है। प्रत्येक कंटेनर में 30-40 फू्रट फ्लाई हो सकती हैं। इसका मकसद अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले यात्रियों को होने वाले किडनी स्टोन का अध्ययन करना है। इसरो, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइएसटी) और धारवाड़ की यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज (यूएएस) के वैज्ञानिक इसके लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दरअसल, मक्खियों में 77 प्रतिशत ऐसे जीन्स पाए जाते हैं, जो इंसानों की बीमारियों का कारण बनते हैं। मक्खियों का उत्जर्सन तंत्र बहुत हद तक इंसानों की तरह होता है। अगर इन मक्खियों को अंतरिक्ष में रहने पर स्टोन की परेशानी होती है, तो इससे अंतरिक्ष यात्रियों को होने वाले किडनी स्टोन का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
तीन मानव रहित मिशन के बाद भेजे जाएंगे अंतरिक्ष यात्री
इसरो की योजना के मुताबिक पहला मानवरहित मिशन (जी-1), अनप्रेशराइज्ड होगा। दूसरा, मानव रहित मिशन (जी-2) प्रेशराइज्ड होगा और ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्रा को भी भेजा जाएगा। तीसरा मानव रहित मिशन (जी-3) एक वैकल्पिक टेस्ट उड़ान है। इन सभी उड़ानों में कामयाबी मिलने के बाद देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन (एच-1) लांच किया जाएगा जिसे 2026 तक भेजे जाने की उम्मीद है।
इसरो की योजना के मुताबिक पहला मानवरहित मिशन (जी-1), अनप्रेशराइज्ड होगा। दूसरा, मानव रहित मिशन (जी-2) प्रेशराइज्ड होगा और ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्रा को भी भेजा जाएगा। तीसरा मानव रहित मिशन (जी-3) एक वैकल्पिक टेस्ट उड़ान है। इन सभी उड़ानों में कामयाबी मिलने के बाद देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन (एच-1) लांच किया जाएगा जिसे 2026 तक भेजे जाने की उम्मीद है।