इस अवसर पर आचार्य विमलसागरसूरी ने कहा कि जैन परंपरा में प्रातः 10 बजे से शाम 6 बजे के बीच सिर्फ उबाला हुआ पानी ग्रहण करने के अलावा समस्त खाद्य सामग्री का संपूर्ण परित्याग कर उपवास की साधना की जाती है। भगवान महावीरस्वामी ने अपने जीवनकाल में करीब साढ़े बारह वर्ष तक कठोर तपस्या की थी। मुगलकाल में दिल्ली की निवासी श्राविका चंपाबाई ने निरंतर 180 दिन के ऐसे उपवास कर सम्राट अकबर को आश्चर्यचकित कर दिया था।
जैनाचार्य ने कहा कि जैन शास्त्रों में तपस्या को सभी आराधनाओं-उपासनाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कहा है। तप जन्मोजन्म के पाप-विकारों को दूर करने का अमोघ उपाय है। लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यथाशक्ति ऐसी साधना करते हैं।