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बैंगलोर

गंगावली नदी में 71 दिनों से जारी सर्च ऑपरेशन में मिली सफलता

उत्तर कन्नड़ जिले के इसी ट्रक के कैबिन में एक शव भी मिला है, हालांकि, अभी इसकी पहचान होना बाकी है। ट्रक के मालिक मुनाफ ने पुष्टि की है कि अर्जुन उसी ट्रक को चला रहा था, जब यह हादसा हुआ। यह ट्रक खोज अभियान के तीसरे फेस के दौरान ड्रेजिंग ऑपरेशन में मिला।

बैंगलोरSep 25, 2024 / 11:50 pm

Sanjay Kumar Kareer

अर्जुन का ट्रक मिला, ट्रक के कैबिन में एक शव भी मिला, पहचान होना बाकी

बेंगलूरु. उत्तर कन्नड़ जिले के शिरूर में 16 जुलाई को हुए भीषण भूस्‍खलन के बाद लापता केरल का एक ट्रक और उसका चालक संभवत: 72 दिन के खोज अभियान के बाद ढूंढ लिए गए हैं। सर्च ऑपरेशन में शामिल टीम ने बुधवार को ट्रक का मुख्‍य हिस्‍सा भी नदी से निकाल लिया।
इसी ट्रक के कैबिन में एक शव भी मिला है, हालांकि, अभी इसकी पहचान होना बाकी है। ट्रक के मालिक मुनाफ ने पुष्टि की है कि अर्जुन उसी ट्रक को चला रहा था, जब यह हादसा हुआ। यह ट्रक खोज अभियान के तीसरे फेस के दौरान ड्रेजिंग ऑपरेशन में मिला।
टीम ने खराब मौसम की चुनौतियों के बावजूद खोज जारी रखी और आखिरकार सीपी 2 क्षेत्र से ट्रक की बॉडी मिल गई। अधिकारियों ने शव को ट्रक से निकालकर किनारे लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य की सिद्धरामय्या सरकार सर्च ऑपरेशन में ड्रेजर के इस्तेमाल का 1 करोड़ रुपए खर्च उठा रही है।
16 जुलाई की सुबह अर्जुन का ट्रक पनवेल-कन्याकुमारी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कर्नाटक-गोवा सीमा के पास भूस्खलन की चपेट में आया था। उस समय अर्जुन बेलगाम के रामनगर डिपो से एकेशिया लकड़ियां लेकर एदवन्ना लौट रहा था।इससे पहले सोमवार को तलाशी अभियान के दौरान मानव कंकाल के कुछ अवशेष मिले थे, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
सर्च ऑपरेशन में शामिल गोताखोर विशेषज्ञ ईश्वर मालपे ने रविवार को खोज छोड़ दी थी, उनका आरोप था कि प्रशासन और जिला पुलिस प्रमुख ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके चलते उन्होंने अभियान रोक दिया।
लेकिन दूसरी ओर, टीम ने ड्रेजर मशीन की मदद से गंगावली नदी में खोज जारी रखी। गोवा से लाए गए ड्रेजर ने गुजरात के गोताखोरों के साथ मिलकर ऑपरेशन को आगे बढ़ाया और आखिरकार ट्रक के इंजन समेत बॉडी को ढूंढ निकाला।

सर्च ऑपरेशन में आई कई चुनौतियां

अर्जुन के ट्रक की खोज 17 अगस्त को मिट्टी हटाने में आ रही परेशानी के कारण रोक दी गई थी। इसके बाद सर्च ऑपरेशन कुछ दिनों तक ठप रहा। ड्रेजर के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन 1 करोड़ रुपए की लागत के कारण काम नहीं हो पा रहा था। हालांकि, अर्जुन के परिवार ने जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या से मुलाकात की, तो राज्य सरकार ने ड्रेजर के किराए का पूरा खर्च उठाने का भरोसा दिया और तलाशी अभियान दोबारा शुरू हो पाया।

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