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बैंगलोर

यूवी इंडेक्स के साथ बढ़ा त्वचा कैंसर का खतरा

– आम नहीं था यह कैंसर
– 27 जिलों में स्तर 12 से ज्यादा

बैंगलोरJun 07, 2022 / 04:35 pm

Nikhil Kumar

बॉडी में असामान्य रूप से सेल्स के जमा होने से होता है कैंसर, जानिए इस रोग से जुड़ी हर जानकारी

 

 

चिकित्सकों ने अल्ट्रा वॉयलेट (यूवी) रेडिएशन के बढ़ते स्तर को लेकर चेतावनी दी है। प्रदेश में UV Radiation तेजी से बढ़ रहा है। इससे त्वचा व आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। कई मामलों में Skin Cancer भी हो सकता है। सन बर्न और मोतियाबिंद के मामले भी बढ़े हैं। शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी कई अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

कम हो रहे पेड़-पौधे और तेजी से बढ़ते कांक्रीट के जंगलों के कारण गर्मी का प्रकोप बढ़ा है। मौसम की बात करते समय शायद ही कोई यूवी इंडेक्स का जिक्र करता है। यूवी इंडेक्स धरती की सतह पर पहुंचने वाली रेडिएशन का स्तर बताता है। यह जितना अधिक होगा, त्वचा और आंख के लिए उतना ही ज्यादा खतरनाक साबित होगा।

Bengaluru शहरी जिले सहित प्रदेश के 31 में से 27 जिलों में यूवी इंडेक्स का स्तर 12 से ज्यादा है, जिसे ‘चरम’ माना जाता है। धारवाड़, कोलार, कोप्पल, रायचूर के लिए यूवी इंडेक्स 13 है और यादगीर जिले के लिए यह 12.5 है। रामनगर में यह 11 है। विशेषज्ञों का कहना है कि यहां भी यह दोपहर के आसपास 12 तक पहुंच जाता है।

यह है यूवी इंडेक्स

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2002 में यूवी इंडेक्स तैयार किया था। इसके मुताबिक के मुताबिक 0 से 2 यूवी इंडेक्स होने पर किसी तरह का खतरा नहीं है। इसमे किसी तरह के प्रोटेक्शन की जरूरत नहीं है। 6 से 7 यूवी इंडेक्शन रहने पर प्रोटेक्शन आवश्यक है। इसमें खुद को कवर करना, सनस्क्रीन, सन ग्लासेज का इस्तेमाल जरूरी है। 8 से 10 यूवी बहुत ज्यादा सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। यूवी इंडेक्स 11 से ज्यादा रहने पर धूप में निकलने से बचने के साथ-साथ सन प्रोटेक्शन के लिए अन्य सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। कुछ नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि मोतियाबिंद सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के कारण होता है। यूवी किरणों के अत्यधिक संपर्क से भी सामान्य से पहले मोतियाबिंद हो सकता है।

यूवी इंडेक्स : कुछ तथ्य

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद अध्ययन रिपोर्ट- 2021 के अनुसार, भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में नॉनमेलानोमा त्वचा कैंसर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अध्ययन में कहा गया है कि भारत के पूर्वोत्तर भाग में त्वचा कैंसर की सबसे अधिक घटनाएं देखी गईं, जो पुरुषों के लिए केवल 5.14 और महिलाओं के लिए 3.98 प्रतिशत है।

पंजाब के एक अध्ययन में यह ग्रामीण कृषक महिलाओं में आम पाया गया है, जो जीवन भर सबसे अधिक धूप में रहते हैं।

यूवी विकिरण जोखिम (सूर्य के प्रकाश) को कम करने, हानिकारक रासायनिक जोखिम से बचने और बार-बार त्वचा की जांच कराने से ऐसी बीमारियों की रोकथाम और शुरुआती उपचार में मदद मिलेगी।

एचसीजी कैंसर अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ. यूवी विशाल राव ने बताया कि भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों में त्वचा के कैंसर दुर्लभ थे। लेकिन अब, निश्चित रूप से उच्च यूवी जोखिम के कारण वृद्धि हुई है। नदियां और भूमि सूख रही हैं, तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है। भारतीय शहर भी विश्व स्तर पर जोखिम भरे यूवी इंडेक्स के चार्ट में योगदान दे रहे हैं। इसके साथ, त्वचा कैंसर, सन बर्न और मोतियाबिंद बढ़ रहे हैं। डॉ. राव ने बताया कि त्वचा कैंसर की सबसे अधिक मामले ऑस्ट्रेलिया में सामने आते हैं। उच्च-यूवी, कठोर सूरज कोकेशियान आबादी को प्रभावित करता है। शंकर अस्पताल में हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण सुब्रमण्यम के अनुसार भारत में त्वचा कैंसर के मामले दुर्लभ थे क्योंकि हमारी त्वचा में मेलेनिन वर्णक का उच्च स्तर यूवी किरणों के प्रभाव को कम करता है। लेकिन, अब त्वचा कैंसर बढ़ रहा है। त्वचा की अनियमितताएं, धब्बे, खुरदरापन या मलिनकिरण, का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

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