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बैंगलोर

संडूर में खनन की अनुमति मेरा नहीं, राज्य सरकार का निर्णय: कुमारस्वामी

कुमारस्वामी ने कहा कि संडूर के देवदारी खनन ब्लॉक में खनन की अनुमति देने का निर्णय उनका नहीं, बल्कि राज्य सरकार का है। 12 जून को मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद के कुमारस्वामी ने सबसे पहले केंद्रीय उपक्रम कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) के देवदारी खनन ब्लॉक में अनुमति परिचालन की अनुमति देने वाली फाइल पर ही साइन किए थे।

बैंगलोरJun 18, 2024 / 10:18 pm

Sanjay Kumar Kareer

kumaraswamy

केंद्रीय मंत्री ने अपने पहले ही बड़े फैसले की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाली, 99 हजार पेड़ों के काटे जाने की संभावना

बेंगलूरु. बल्लारी जिले के संडूर के अछूते वन क्षेत्र में खनन की अनुमति देने के कारण करीब 99 हजार पेड़ों को काटे जाने को संभावना को लेकर उपजे विवाद के बीच केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
कुमारस्वामी ने कहा कि संडूर के देवदारी खनन ब्लॉक में खनन की अनुमति देने का निर्णय उनका नहीं, बल्कि राज्य सरकार का है। 12 जून को मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद के कुमारस्वामी ने सबसे पहले केंद्रीय उपक्रम कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) के देवदारी खनन ब्लॉक में अनुमति परिचालन की अनुमति देने वाली फाइल पर ही साइन किए थे। हालांकि, पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद कुमारस्वामी कई बार इस फैसले का बचाव कर चुके हैं।
कुमारस्वामी ने मंगलवार को इस बात पर जोर देने की कोशिश की कि बल्लारी जिले के संडूर के 992.31 एकड़ (401.57 हेक्टेयर) के अछूते (वर्जिन) जंगल में खनन का फैसला उनका नहीं था क्योंकि राज्य सरकार ने बहुत पहले ही इस परियोजना को मंजूरी दे दी थी। मंत्री केआईओसीएल की समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, देवदारी खनन ब्लॉक राज्य सरकार ने केआईओसीएल को आवंटित किया था। खनन शुरू करने से पहले केआईओसीएल ने 194 करोड़ रुपए की लागत से 808 हेक्टेयर में वनरोपण और जैव विविधता के संरक्षण का संकल्प लिया है।

करीब एक लाख पेड़ कटेंगे

खनन में 99,000 से अधिक पेड़ों को हटाना शामिल है, जिनमें से 293 एकड़ में 21,259 पेड़ों को पहले पांच वर्ष में हटाया जाएगा। वन विभाग के वर्जिन वन क्षेत्र में खनन पर आपत्ति जताए जाने के सवाल पर कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है। उन्होंने पूछा, अगर वन विभाग ने परियोजना का विरोध किया था, तो राज्य सरकार ने केआईओसीएल से 194 करोड़ रुपए क्यों स्वीकार किए। उन्होंने कहा कि खनन के लिए सभी स्वीकृतियां वर्ष 2023 में दी गई। राज्य सरकार के परियोजना को मंजूरी दिए जाने के बाद ही केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी अंतिम मंजूरी दी।

वन विभाग की आपत्तियों को राज्य सरकार ने किया खारिज

दस्तावेजों से पता चलता है कि अक्टूबर 2019 और जनवरी 2020 के बीच बल्लारी के उप वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल के प्रमुख) ने कहा कि इस पहाड़ी वन क्षेत्र में खनन परियोजना की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए। 9 अक्टूबर, 2020 को राज्य सरकार ने विभाग के दृष्टिकोण को खारिज कर दिया और केंद्र सरकार से परियोजना को मंजूरी देने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्रालय ने खनन के लिए वन भूमि को परिवर्तित करने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी (चरण 1) दी। अगस्त और अक्टूबर 2022 में राज्य सरकार ने अंतिम स्वीकृति (चरण 2) के लिए आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेज भेजे और 16 दिसंबर, 2022 को अंतिम मंजूरी मिल गई।

केआईओसीएल को मदद मिलेगी

कुमारस्वामी ने कहा कि खदान चालू होने से न केवल केआईओसीएल को मदद मिलेगी, बल्कि वनीकरण में भी योगदान मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1976 में शुरू हुई कंपनी लाभदायक थी और वर्ष 2005 तक 1600 से अधिक लोगों को रोजगार देती थी। खनन गतिविधियों में कमी आने के बाद कर्मचारियों की संख्या घटकर 595 रह गई। वे कई चुनौतियों के बावजूद कंपनी को बचाने में कामयाब रहे हैं।
50 साल का खनन पट्टा

इस्पात मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम केआईओसीएल लौह अयस्क निर्यातक इकाई है । कंपनी की योजना वर्ष 2024-25 में प्रति वर्ष लगभग 3 लाख टन उत्पादन करने की है। कंपनी ने राज्य सरकार के खान और भूविज्ञान विभाग से 388 हेक्टेयर भूमि पर 50 वर्षों की अवधि के लिए लौह और मैंगनीज अयस्क निकालने के लिए खनन पट्टा हासिल किया है। देवदारी में खनन कार्य केआईओसीएल के लिए जीवन रेखा साबित होगा। वर्ष 2006 में चिकमगलूरु जिले के कुद्रेमुख में लौह अयस्क खनन बंद होने के बाद से कंपनी मेंगलूरु में अपने संयंत्र के लिए छत्तीसगढ़ से अयस्क पर निर्भर है।

मैं स्पष्ट करना चाहता हूं और संडूर के लोगों के ध्यान में लाना चाहता हूं कि मैंने जंगल के खनन को मंजूरी नहीं दी थी। केआईओसीएल 808 हेक्टेयर क्षेत्र में वनीकरण कर रहा है। यह परियोजना केवल लौह अयस्क खनन और केआईओसीएल को एक लाभदायक कंपनी बनाने के लिए नहीं है बल्कि भूमि को फिर से वनीकरण और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए भी है, जिसके लिए धन दिया गया है। एच.डी. कुमारस्वामी, केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री

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