करीब एक लाख पेड़ कटेंगे
खनन में 99,000 से अधिक पेड़ों को हटाना शामिल है, जिनमें से 293 एकड़ में 21,259 पेड़ों को पहले पांच वर्ष में हटाया जाएगा। वन विभाग के वर्जिन वन क्षेत्र में खनन पर आपत्ति जताए जाने के सवाल पर कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है। उन्होंने पूछा, अगर वन विभाग ने परियोजना का विरोध किया था, तो राज्य सरकार ने केआईओसीएल से 194 करोड़ रुपए क्यों स्वीकार किए। उन्होंने कहा कि खनन के लिए सभी स्वीकृतियां वर्ष 2023 में दी गई। राज्य सरकार के परियोजना को मंजूरी दिए जाने के बाद ही केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी अंतिम मंजूरी दी।वन विभाग की आपत्तियों को राज्य सरकार ने किया खारिज
दस्तावेजों से पता चलता है कि अक्टूबर 2019 और जनवरी 2020 के बीच बल्लारी के उप वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल के प्रमुख) ने कहा कि इस पहाड़ी वन क्षेत्र में खनन परियोजना की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए। 9 अक्टूबर, 2020 को राज्य सरकार ने विभाग के दृष्टिकोण को खारिज कर दिया और केंद्र सरकार से परियोजना को मंजूरी देने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्रालय ने खनन के लिए वन भूमि को परिवर्तित करने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी (चरण 1) दी। अगस्त और अक्टूबर 2022 में राज्य सरकार ने अंतिम स्वीकृति (चरण 2) के लिए आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेज भेजे और 16 दिसंबर, 2022 को अंतिम मंजूरी मिल गई।केआईओसीएल को मदद मिलेगी
कुमारस्वामी ने कहा कि खदान चालू होने से न केवल केआईओसीएल को मदद मिलेगी, बल्कि वनीकरण में भी योगदान मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1976 में शुरू हुई कंपनी लाभदायक थी और वर्ष 2005 तक 1600 से अधिक लोगों को रोजगार देती थी। खनन गतिविधियों में कमी आने के बाद कर्मचारियों की संख्या घटकर 595 रह गई। वे कई चुनौतियों के बावजूद कंपनी को बचाने में कामयाब रहे हैं।मैं स्पष्ट करना चाहता हूं और संडूर के लोगों के ध्यान में लाना चाहता हूं कि मैंने जंगल के खनन को मंजूरी नहीं दी थी। केआईओसीएल 808 हेक्टेयर क्षेत्र में वनीकरण कर रहा है। यह परियोजना केवल लौह अयस्क खनन और केआईओसीएल को एक लाभदायक कंपनी बनाने के लिए नहीं है बल्कि भूमि को फिर से वनीकरण और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए भी है, जिसके लिए धन दिया गया है। – एच.डी. कुमारस्वामी, केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री