साध्वी प्रज्ञाश्री ने कहा कि अपने जीवन में समता की स्थापना ही सामायिक का सार है। मन वचन और काया की शुद्धता से की हुई सामायिक हमारे लिए वरदान बन सकती है। समभाव की आराधना ही सामायिक है। यदि जीवन में समभाव नहीं आया तो यह जीवन , चाहे साधु का हो या श्रावक का, सार्थक नहीं होगा।
इस मौक़े पर जैन कांफ्रेंस प्रांतीय अध्यक्ष पुखराज मेहता एवं मंड्या से बोहरा परिवार के सदस्य उपस्थित रहे। संचालन संघ मंत्री नेमीचंद दलाल ने किया। संघ अध्यक्ष प्रकाशचंद चाणोदिया ने आभार ज्ञापित किया।