बैंगलोर

कोरोना : बची हुई खुराकों को लेकर निजी अस्पताल चिंतित

– कर्नाटक : स्वैच्छिक आधार पर बूस्टर डोज की मांग

बैंगलोरNov 25, 2021 / 04:01 pm

Nikhil Kumar

Corona Booster

बेंगलूरु. निजी अस्पतालों के पास कोवैक्सीन की लाखों खुराकें पड़ी हैं। केंद्रीय ड्रग्स मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवैक्सीन के उपयोग की अवधि बढ़ाकर 12 महीने कर दी है। बावजूद इसके निजी अस्पताल बची हुई खुराकों को लेकर चिंतित हैं।

ऐसे में एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडियाए (एएचपीआइ) ने पात्र लोगों को बूस्टर डोज लगाने की सिफारिश की है। केंद्रीय स्वासथ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को 12 नवंबर को भेजे पत्र में एएचपीआइ ने कहा कि सरकार को स्वैच्छिक आधार पर बूस्टर डोज देने पर विचार करना चाहिए। इससे निजी क्षेत्र के पास उपलब्ध टीकों के पर्याप्त स्टॉक का प्रभावी उपयोग हो सकेगा। एएचपीआइ के अध्यक्ष डॉ. अलेक्जेंडर थॉमस के अनुसार कोवैक्सीन के उपयोग की अवधि बढ़ाकर 12 महीने बढ़ाई गई है। लेकिन टीकाकरण कराने वालों की संख्या बेहद कम है। देश के निजी अस्पतालों के पास 50 लाख से ज्यादा खुराकें पड़ी हुई हैं।

डॉ. थॉमस के अनुसार टीकाकरण के बाद भी एंंटीबॉडी कितने दिनों तक प्रभावी रहेंगे, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है। टीकाकरण के बाद भी कई लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं। कई देश अपने लोगों को बूस्टर डोज लगा रहे हैं। ऐसे में सरकार को कम-से-कम स्वास्थ्यकर्मियों को बूस्टर डोज लगाने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री के साथ इससे पहले हुई एक बैठक में एएचपीआइ सरकार से बची हुई खराकें खरीदने का अनुरोध कर चुका है।

प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (पीएचएएनए) के अध्यक्ष डॉ. एच. एम. प्रसन्ना ने बताया कि कोवैक्सीन के उपयोग की अवधि बढ़ाकर 12 महीने करने निजी अस्पतालों को राहत मिली है। लेकिन ज्यादातर अस्पतालों को पीडियाट्रिक वैक्सीन का इंतेजार है। बूस्टर डोज की अनुमति मिले तब स्टॉक में पड़े टीकों का प्रभावी उपयोग संभव है।

डॉ. प्रसन्ना ने बताया कि प्रदेश के निजी अस्पतालों के पास कोरोना वैक्सीन की करीब आठ लाख खुराक है। इनमें कोविशील्ड की दो लाख खुराकें शामिल हैं।

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