वन विभाग को मुखबिर से सूचना मिली कि राजपुर क्षेत्र से एक पिकअप वाहन इमारती लकड़ी लोड कर रामानुजगंज की ओर लाया जा रहा है। इसके बाद वन परिक्षेत्र अधिकारी संतोष पांडेय के निर्देश पर वनपाल दयाशंकर सिंह, वनरक्षक राजनाथ सिंह, पिंटू मालाकार सहित वनकर्मी चोरपहरी नाका के पास पिकअप पकडऩे के लिए तैनात हो गए।
मंगलवार की सुबह लगभग 5 बजे जब एक पिकअप वाहन को आता देखा तो उसे रोकने के लिए नाका को गिरा दिया गया। लेकिन पिकअप चालक तेज रफ्तार में नाका को तोड़ते हुए भागने लगा, जिसका पीछा वन विभाग द्वारा किया गया। ड्राइवर पिकअप को रामानुजगंज के वार्ड क्रमांक 1 पेट्रोल पंप के समीप एक गली में छोडक़र मौके से फरार हो गया। वहीं वन विभाग की टीम जब तिरपाल खोला तो उसमें गोवंश को ठूंस-ठूंस कर लोड किया गया था।
इसके बाद वाहन को रामानुजगंज थाने के सुपुर्द कर दिया गया। थाना प्रभारी संतलाल आयाम ने बताया कि 4, 6, 16 कृषक पशु परीक्षण अधिनियम, पशु क्रूरता अधिनियम 1985 की धारा 11 (घ) व लोक संपत्ति क्षति अधिनियम की धारा 3 के तहत मामला पंजीबद्ध कर कार्रवाई की जा रही है। गोवंश को देवगई गौशाला भेज दिया गया है।
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तिरपाल लगाकर मवेशियों की तस्करी
अंतरराज्यीय नाका पार करके लगातार गोवंश की तस्करी हो रही है परंतु इस पर रोक नहीं लग पा रही है। मंगलवार को भी वन विभाग की टीम द्वारा लकड़ी के चक्कर में गौवंश की तस्करी को पकड़ा गया।
वहीं इससे पूर्व भी आरागाही के पास मिनी ट्रक के पलट जाने के बाद पांच भैंसों की मौके पर ही मौत हो गई थी तब भी खुलासा हुआ था कि लगातार गोवंश की तस्करी हो रही है। गौ तस्करों द्वारा तस्करी के दौरान गोवंश के मुंह एवं पैर को भी बांध दिया गया था।
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सेटिंग से होता है काम
गोवंश की तस्करी लगातार तस्करों के द्वारा की जा रही है। गौ तस्करों के द्वारा सेटिंग से अवैध कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है। गोवंश झारखंड के बूचडख़ाने में कटने के लिए लगातार जा रहे हैं जिसे रोके जाने की आवश्यकता है। गौ भक्तों ने भी गोवंश की तस्करी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए। इसे रोक जाने की मांग की है।