मेडिकल स्टोर के संचालक ने बीमारी ठीक हो जाने का आश्वासन देते हुए मरीज के खून की जांच की, फिर उसे इंजेक्शन भी लगाया, इससे भकलू को कुछ राहत मिली। इसके बाद मेडिकल स्टोर के संचालक ने उसे कुछ दवाएं दी। फिर इलाज व दवा का भुगतान करने के बाद परिजन भकलू को लेकर अपने गांव चले गए।
लेकिन वहां देर रात उसकी तबियत फिर बिगड़ गई और वह बेसुध हो गया। परिजन 108 में फोन लगाए, लेकिन समय पर एंबुलेस नही पहुंचा, इससे सुबह करीब 3 बजे भकलू की मौत हो गई। इसके बाद वहां संजीवनी एंबुलेंस पहुंची, एमटी ने कहा कि इसकी मौत हुई है या नही, यह अस्पताल के चिकित्सक ही बता सकते हैं।
ऐसा कहकर मृतक के शव को एम्बुलेंस से कुसमी अस्पताल तक लाया गया, यहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर मामले की सूचना कुसमी थाने में दी। मंगलवार को पुलिस ने मृतक के शव का पीएम कराकर परिजन को सौंप दिया।
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यदि मृतक को समय पर उचित चिकित्सा सुविधा मिल गई होती तो शायद उसकी जान बच सकती थी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोग गंभीर बीमारी होने पर भी उपचार के लिए अच्छे अस्पताल में जाने की बजाय झोला छाप डॉक्टर सहित मेडिकल स्टोर में जाकर उपचार करवाते हैं। यह भी पढ़ें
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कुछ दिनों पूर्व नगर के मेडिकल स्टोर के संचालको को कुसमी एसडीएम व चिकित्सकों द्वारा बैठक लेकर सख्त हिदायत दी गई थी कि वे चिकित्सकों द्वारा दी गई पर्ची पर दवा की बिक्री करें और मरीजों का दुकान में उपचार कतई न करें। ऐसा करते पाए जाने पर वैधानिक कार्यवाही करने की चेतावनी दी गई थी। प्रशासन की हिदायत के बावजूद कई मेडिकल स्टोर के संचालक अब भी क्षेत्र के ग्रामीणों का उपचार कर उनसे मोटी रकम वसूल रहे हैं।