हर साल लगभग 30 हजार से अधिक बोर खनन
जिस प्रकार से जल का दोहन हो रहा हैं। उससे लगता है कि आने वाले दिनों में बहुत गंभीर स्थिति निर्मित हो जाएगी। भूजल स्तर गिरने के पीछे भूजल का अधिक दोहन व जल बचाने के प्रति प्रयास कमजोर व लगातार बोर खनन को माना जा रहा है। एक जानकारी के मुताबिक जिले भर में एक साल के भीतर लगभग 30 हजार बोर खनन किए जाते हैं।
साल 2017 से लगातार घटते क्रम में है, भूजल स्तर
पीएचई विभाग के सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जिले में भूजल स्तर साल 2017 से घटते क्रम पर है। जिले में स्थिति को सुधारने कई प्रयास किए गए। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि तीन साल पहले मिशन जल शक्ति को लेकर गुरुर ब्लॉक में जलशक्ति नाम से विशेष अभियान चलाकर जल बचाने का अभियान शुरु किया गया। घर- घर व सरकारी दफ्तरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया लेकिन वे भी टूट-फूट गए। अब फिर लोग लापरवाही बरतने लगे हैं।
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जिले में किस साल कितना रहा भूजल स्तर
- वर्ष – भूजल स्तर की स्थिति मीटर में (औसत)
- 2017 – 19
- 2018 – 19.50
- 2019 – 19.50
- 2020 – 21
- 2021 – 21
- 2022 – 21.50
- 2023 – 25
- 2024 – 27
- आंकड़े पीएचई विभाग
सिंचाई के लिए 8 हजार से अधिक बोर का उपयोग
गर्मी के दिनों में जिले में इस साल भी लगभग 15 हजार किसानों ने धान की खेती की है। वहीं अधिकांश धान की फ़सलों को सींचने के लिए 8 हजार से अधिक बोर का उपयोग किया गया। वहीं कृषि विभाग द्बारा भी लगतार जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। गर्मी के दिनों में दलहन-तिलहन व अन्य फसलों की खेती करने की समझाइश दी जाती है। ये फसलें कम पानी में भी बेहतर पैदावार देती हैं।
भू-जल स्तर गिरने के यह भी कारण
जिले के हर गांव गाली में अब डामरीकरण होने के कारण बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पा रहा। बल्कि पानी सीधे नालों में चला जाता है। गर्मी में भी धान की फसल लेने से भू जल स्तर में कमी आ रही है। गर्मी में धान की फसल लेना, धान की फसल में अधिक पानी का उपयोग होता है। घरों व सरकारी कार्यालय में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का न होना। इसके अलावा जरूरत के अनुसार नदी नालों में एनीकट निर्माण न होना भी गिरते भूजल स्तर का बड़ा कारण है।
किस ब्लॉक में कितने मीटर में मिल रहा है भूजल स्तर
- ब्लॉक – भूजल स्तर मीटर में
- बालोद – 24 से 26
- गुरुर – 25 से 29
- डौंडी – 23 से 26 मीटर
- डौंडीलोहारा – 24 से 27
- गुंडरदेही – 25 से 28 मीटर
सभी को होना पड़ेगा जागरूक
पीएचई बालोद के ईई सुक्रांत साहू ने बताया कि जिले में गिरते भू-जल स्तर को बढ़ाने लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सभी सरकारी विभागों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं। जल बचाने सभी को जागरुक होना पड़ेगा।
धान की जगह गर्मी में लें दलहन-तिलहन
कृषि विभाग के उपसंचालक जीएस ध्रुव ने कहा कि किसानों को गर्मी के दिनों में धान की बजाय दलहन-तिलहन की खेती करने प्रेरित करते हैं पर कई किसान जागरूक हैं तो कई किसानों को अभी भी जागरूक करने की जरूरत है। ग्रीष्मकालीन धान की फसल सिंचाई के लिए भूजल स्त्रोतों का उपयोग ज्यादा किया जाता है, जिससे भू जल स्तर भी गिरता है।