बालाघाट. स्वास्थ्य विभाग ने अवैध रुप से संचालित दो क्लीनिकों को मंगलवार को सील कर दिया। यह कार्रवाई बिरसा क्षेत्र के ग्राम मंडई में की गई। जिसमें एक ने बी फार्मा की डिग्री प्राप्त की थी। लेकिन मंडई में पिछले डेढ़ वर्षों से नियम विरुद्ध क्लीनिक खोलकर एलोपैथी पद्धति से उपचार कर रहा था। जबकि दूसरे ने नेशनल बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ मेडिसिन जबलपुर से बैचलर ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड सर्जरी की योग्यता प्राप्त की है। जो पिछले 7-8 वर्षों से क्लीनिक का संचालकर मरीजों का उपचार कर रहा है।
सीएमएचओ डॉ. मनोज पाण्डेय के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा निवासी श्रवण कुमार माथुर ने बी फार्मा (बेचलर इन फार्मेसी) की डिग्री प्राप्त की है। बीफार्मा का पंजीयन उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में कराया है। लेकिन अवैध तरीके से बिरसा क्षेत्र के मंडई गांव में क्लीनिक खोलकर एलोपैथी पद्धति से उपचार कर रहे थे। उन्होंने वार्ड क्रमांक 3 में अशोक तुरकर के आवास को किराए से लिया था। जहां पिछले डेढ़ वर्षों से क्लीनिक का संचालन कर रहा था। इसी तरह नागेंद्र सूर्यवंशी ने कार्रवाई के दौरान जो दस्तावेज प्रस्तुत किए उसमें नेशनल बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ मेडिसिन जबलपुर से बैचलर ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड सर्जरी की योग्यता नेशनल एजुकेशनल अकेडमी दुर्ग से वर्ष 2006 में प्राप्त की गई। वह वार्ड क्रमांक 4 में निजी आवास में क्लीनिक का संचालन कर रहा था। इनके क्लीनिक में एक रोगी को टेबल पर लेटा हुआ पाया गया। जबकि क्लीनिक में 6 अन्य रोगी मौजूद थे। साथ ही परीक्षण टेबल के आसपास इंजेक्शन के टुकड़े भी पाए गए। दोनों स्थलों से जांच दल ने एलोपैथिक इंजेक्शन के अलावा एलोपैथिक दवाईयां, बीपी अप्रेट्स व स्टेथोस्कोप उपकरण जब्त किए है।
सीएमएचओ ने बताया कि बी. फार्मा योग्यताधारी व्यक्ति मप्र में पंजीयन करा सकता है। इसके बाद औषधि विक्रय का लाइसेंस प्राप्त कर औषधियों का विक्रय कर सकता है। जबकि किसी प्रकार से एलोपैथिक चिकित्सा नहीं कर सकता है। दोनों क्लीनिक गैर मान्यता प्राप्त योग्यताधारी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से रोगियों का उपचार कर चिकित्सा व्यावसाय कर रहे थे। इस कारण दोनों ही व्यक्तियों के खिलाफ मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 की धारा 24 के अधीन वैधानिक कार्रवाई के लिए बिरसा थाने में प्रकरण भेजा गया है।
सीएमएचओ डॉ. मनोज पाण्डेय के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा निवासी श्रवण कुमार माथुर ने बी फार्मा (बेचलर इन फार्मेसी) की डिग्री प्राप्त की है। बीफार्मा का पंजीयन उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में कराया है। लेकिन अवैध तरीके से बिरसा क्षेत्र के मंडई गांव में क्लीनिक खोलकर एलोपैथी पद्धति से उपचार कर रहे थे। उन्होंने वार्ड क्रमांक 3 में अशोक तुरकर के आवास को किराए से लिया था। जहां पिछले डेढ़ वर्षों से क्लीनिक का संचालन कर रहा था। इसी तरह नागेंद्र सूर्यवंशी ने कार्रवाई के दौरान जो दस्तावेज प्रस्तुत किए उसमें नेशनल बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ मेडिसिन जबलपुर से बैचलर ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड सर्जरी की योग्यता नेशनल एजुकेशनल अकेडमी दुर्ग से वर्ष 2006 में प्राप्त की गई। वह वार्ड क्रमांक 4 में निजी आवास में क्लीनिक का संचालन कर रहा था। इनके क्लीनिक में एक रोगी को टेबल पर लेटा हुआ पाया गया। जबकि क्लीनिक में 6 अन्य रोगी मौजूद थे। साथ ही परीक्षण टेबल के आसपास इंजेक्शन के टुकड़े भी पाए गए। दोनों स्थलों से जांच दल ने एलोपैथिक इंजेक्शन के अलावा एलोपैथिक दवाईयां, बीपी अप्रेट्स व स्टेथोस्कोप उपकरण जब्त किए है।
सीएमएचओ ने बताया कि बी. फार्मा योग्यताधारी व्यक्ति मप्र में पंजीयन करा सकता है। इसके बाद औषधि विक्रय का लाइसेंस प्राप्त कर औषधियों का विक्रय कर सकता है। जबकि किसी प्रकार से एलोपैथिक चिकित्सा नहीं कर सकता है। दोनों क्लीनिक गैर मान्यता प्राप्त योग्यताधारी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से रोगियों का उपचार कर चिकित्सा व्यावसाय कर रहे थे। इस कारण दोनों ही व्यक्तियों के खिलाफ मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 की धारा 24 के अधीन वैधानिक कार्रवाई के लिए बिरसा थाने में प्रकरण भेजा गया है।