बाजार में नजर आए लकड़ी के नंदी
पोला पर्व को लेकर बाजार में लकड़ी और मिट्टी के घुड़ले (बैल-नंदी) की दुकानें लगी नजर आई। किसानों ने अपने बच्चों के लिए नंदी के प्रतीक इन खिलौनों की खरीदी कर उन्हें देते हैं। इनकी भी पूजा अर्चना की जाती है। वहीं पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद मार्बत का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नारबोद के पुतले को शहर भ्रमण कराने के बाद शहर की सीमा के बाहर दहन किए जाने की परंपरा है।
पोला पर्व को लेकर बाजार में लकड़ी और मिट्टी के घुड़ले (बैल-नंदी) की दुकानें लगी नजर आई। किसानों ने अपने बच्चों के लिए नंदी के प्रतीक इन खिलौनों की खरीदी कर उन्हें देते हैं। इनकी भी पूजा अर्चना की जाती है। वहीं पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद मार्बत का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नारबोद के पुतले को शहर भ्रमण कराने के बाद शहर की सीमा के बाहर दहन किए जाने की परंपरा है।
पर्व की पूर्व रात्रि पर किसानों ने गर्भ पूजन की परंपरा निभाई। ऐसी मान्यता हैं कि इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती हैं, धान के पौधों में दूध भरता हैं, इस दिन किसी को भी खेतों में जाने की अनुमति नहीं रहती हैं। पोला पर्व की पूर्व रात्रि गांव के पुजारी, मुखिया और कुछ व्यक्ति गांव के बाहरी हिस्सों, सीमाओं में जाकर देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं, जो पूरी रात चलती हैं। पूजा के दौरान चढाए गए प्रसाद को वहीं ग्रहण किया जाता हैं। उसे घर पर लाने की अनुमति नहीं रहती हैं। इसी दिन पशु धन को किसान महुआ, हल्दी और आटे का गोला बनाकर खिलाते हैं और उनको हल्दी का लेप लगाते हैं।
बाजार में नजर आए लकड़ी के नंदी
पोला पर्व को लेकर बाजार में लकड़ी और मिट्टी के घुड़ले (बैल-नंदी) की दुकानें लगी नजर आई। किसानों ने अपने बच्चों के लिए नंदी के प्रतीक इन खिलौनों की खरीदी कर उन्हें देते हैं। इनकी भी पूजा अर्चना की जाती है। वहीं पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद मार्बत का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नारबोद के पुतले को शहर भ्रमण कराने के बाद शहर की सीमा के बाहर दहन किए जाने की परंपरा है।
पोला पर्व को लेकर बाजार में लकड़ी और मिट्टी के घुड़ले (बैल-नंदी) की दुकानें लगी नजर आई। किसानों ने अपने बच्चों के लिए नंदी के प्रतीक इन खिलौनों की खरीदी कर उन्हें देते हैं। इनकी भी पूजा अर्चना की जाती है। वहीं पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद मार्बत का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नारबोद के पुतले को शहर भ्रमण कराने के बाद शहर की सीमा के बाहर दहन किए जाने की परंपरा है।