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बागपत

रालोद का प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार तक दबदबा, केंद्रीय मंत्रिमंडल में 10 साल बाद चौधरी परिवार

Jayant Chaudhary: 2017 से अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही राष्ट्रीय लोकदल ने दो सालों में ही प्रदेश और देश की राजनीति में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री की कुसी मिलने के बाद अब रालोद को केंद्रीय मंत्री मंडल में भी जगह मिल गई है।

बागपतJun 10, 2024 / 08:50 am

Aman Pandey

Jayant Chaudhary: रालोद ने करीब दस साल बाद एक बार फिर से मजबूत स्थिति दर्ज करायी है। पार्टी की कमान संभालने के बाद रालोद के मुखिया जयंत चौधरी पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बने हैं। मेरठ और सहारनपुर मंडल से वह केन्द्र में इकलौते मंत्री हैं। इस‌की वजह से पश्चिम की सियासत में उनका कद भी बढ़ गया है। रालोद के लिए इससे बड़ी खुशी ओर क्या हो सकती है कि एक तो 10 साल बाद उसे उसकी विरासत वाली सीट मिल गई। वहीं केंद्र में मंत्री पद का सूखा भी समाप्त हो गया।

आखिरी बार मनमोहन सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे अजित सिंह

विरासत वाली सीट बागपत जीतने के बाद रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह 2011 से 2014 तक आखिरी बार मनमोहन सिंह सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे थे। इससे पहले भी वे वीपी सिंह सरकार में उद्योग मंत्री, नरसिम्हा राव की सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रह चुके थे। वहीं वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद केंद्र की सत्ता से रालोद और चौधरी परिवार दूर हो गया था।

बागपत सीट से जुड़ी रही चौधरी परिवार की साख

चौधरी चरण सिंह परिवार के लिए बागपत सीट हमेशा ही साख वाली रही है। इस सीट पर चौधरी चरणसिंह ने वर्ष 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के रामचंद्र विकल को हराकर लोकसभा की दहलीज पर पहुंचे थे। यह चुनाव जीतने के बाद चौधरी चरण सिंह देश के गृहमंत्री बने और 1979 में उप प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्री और फिर इसी साल प्रधानमंत्री बने थे। किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह ने बागपत सीट से तीन बार चुनाव लड़ा था और तीनों ही बार जीतकर संसद पहुंचे थे।
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अजित सिंह ने भी खूब संभाली विरासत

चौधरी चरण सिंह ने वर्ष 1989 के चुनाव में अपनी राजनैतिक विरासत बेटे अजित सिंह को सौंप दी थी। अजित सिंह ने भी विरासत वाली बागपत सीट को बखूबी संभाले रखा था। वे वर्ष 1989, 1991 और 1996 तक बागपत सीट से लगातार सांसद रहे। वर्ष 1998 के चुनाव में वे भाजपा के सोमपाल शास्त्रत्त्ी से चुनाव हार गए थे, लेकिन एक वर्ष बाद हुए चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल कर ली थी। इसके बाद वे 2014 तक बागपत सीट से सांसद रहे, लेकिन 2014 के चुनाव में वे हार गए थे। वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने बेटे जयंत चौधरी को बागपत सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे भी भाजपा के डा. सत्यपाल सिंह से चुनाव हार गए थे।

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