थाना रमाला क्षेत्र के गांव असारा निवासी जहीर आलम के अनुसार उसकी बहन मोमीना की शादी करीब 27 वर्ष पूर्व मुजफ्फरनगर के गांव धन्धेडा निवासी यासीन पुत्र मेहरुद्दीन के साथ हुई थी। उसकी बहन के चार बच्चे हैं। आरोप है कि उसका पति उसे प्रताड़ित करता था और बिना शादी किए ही दूसरी औरत को अपने साथ रखता था। रोज-रोज की मारपीट से तंग आकर उसकी बहन दो वर्ष से मायके में ही रह रही थी। इस दौरान उसकी बहन का पति कभी -कभी गांव में आ जाता था।
आरोप है कि 31 मई 2011 को गांव का ही रहने वाला अनवर उनके मकान पर आया और उसके पति से मिलाने के लिए डा. मुस्तफा के मकान पर ले गया। जब काफी देर तक उसकी बहन नहीं लौटी तो उन्होंने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन उसका कोई पता नही चला। इसके बाद 3 जून 2011 को युनुस पुत्र सिराजुद्दीन के खेत में उसका शव पड़ा मिला था। इस संबंध में जहीर ने अपनी बहन के पति यासीन व गांव असारा निवासी डा. अनवर व मुस्तफा के विरूद्ध अपनी बहन की हत्या किए जाने के संबंध में थाना रमाला में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवार्ई अपर सत्र एवं जिला न्यायधीश विशेष न्यायलय एससी/एसटी एक्ट आबिद शमीम की अदालत में हुई। लंबी सुनवाई को बाद सोमवार को तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।
अपर शासकीय अधिवक्ता अनुज ढाका ने बताया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल सात गवाह पेश किए गए। न्यायधीश ने साक्ष्य के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने तीनों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें 6-6 माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।