राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि दो महीने पहले भाजपा ने जो मध्य प्रदेश से यूपी-बिहार साधने के लिए यादव कार्ड खेला था। अब लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी उसी यादव कार्ड पर आगे बढ़ गई है। एमपी के सीएम का यूपी से गहरा नाता है। दरअसल, यूपी के अंबेडकरनगर की भीटी तहसील के कोर्रा किछूटी में मोहन यादव की ससुराल है। इस लिहाज से यादव पट्टी में मोहन यादव को लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी देना बहुत अहम माना जा रहा है।
एक दिन के यूपी दौरे पर जा रहे एमपी के सीएम मोहन यादव खासतौर पर आजमगढ़ क्लस्टर के अंतर्गत आने वाले पांच लोकसभा सीटों के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में शामिल होंगे। आजमगढ़ के अलावा लालगंज घोसी बलिया सलेमपुर की इन बैठकों में यादव जिलाध्यक्ष से लेकर जिला प्रभारी, लोकसभा संयोजक, लोकसभा प्रभारी, लोकसभा प्रबंध समिति के पदाधिकारी सांसद, विधायकों, विधानसभा के प्रत्याशियों समेत पंचायत और नगर पालिका नपगर पंचायत अध्यक्षों की बैठक लेंगे।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब दो महीने पहले डॉ. मोहन यादव ने एमपी में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तभी कहा जा रहा था कि यूपी और बिहार की पिछड़ा वर्ग की राजनीति के तहत ये बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक है। भाजपा ने इस बार लोकसभा में 400 सीटों का टारगेट रखा है। इसकी तैयारी के लिए लोकसभा सीटों को क्लस्टर के रुप में बांटा गया है। इसी के तहत डॉ. मोहन यादव यूपी की पांच लोकसभा सीटों के क्लस्टर में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया का कहना है कि भाजपा अब दूरगामी चाल चल रही है। दिसंबर में जिस फैसले ने एमपी को चौंकाया था। वो लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही एमपी से खेला गया दांव था।
उत्तर प्रदेश में एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव को आजमगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है। आजमगढ़ उन 12 जिलों में गिना जाता है। जहां लगभग 20 प्रतिशत यादव हैं। आजमगढ़ के अलावा बलिया, गोरखपुर, मैनपुरी, एटा-इटावा भी यादव बाहुल्य जिले हैं। हालांकि पूरे उत्तर प्रदेश में यादवों की आबादी लगभग आठ प्रतिशत है। जबकि पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या यहां 20 प्रतिशत के करीब है। इस लिहाज से भाजपा का आजमगढ़ में खेला गया यादव कार्ड लोकसभा चुनाव के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।