अयोध्या

विहिप ने कहा सरकार की गलतियों से आज खतरे में हैं गोवंश गोरक्षा के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा संभव नहीं

विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री चम्पतराय ने कहा है कि गोरक्षा के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा संभव नहीं है

अयोध्याNov 08, 2017 / 05:16 pm

अनूप कुमार

Champat Rai

अयोध्या . आजादी के बाद से सरकारों की गलत नीतियों के कारण भारतीय नस्ल के गोवंश के खतरे में पड़ने का आरोप लगाते हुए विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री और श्रीराम गौशाला समिति के अध्यक्ष चम्पतराय ने कहा है कि गोरक्षा के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा संभव नहीं है, उन्होंने मांग की है कि गोवंश की रक्षा के लिए केंद्रीय कानून बने,गोवंश के हितों को ध्यान में रखते हुए गोरक्षा और गौ संवर्धन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, कृषि प्रधान देश मे यह अर्थव्यवस्था, पर्यावरण समेत व्यापक संदर्भ वाला विषय है,ऐसे में गौ संरक्षण और संवर्धन समय की अवश्यक्ता है, श्रीराय कारसेवक पुरम् मे गौ संवर्धन -संरक्षण को लेकर श्रीराम गौशाला समिति के नवीन समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे उन्हो ने कहा महात्मा गाँधी, तिलक, महामना मदन-मोहन मालवीय आदि महापुरुषों ने गो-रक्षा को स्वतन्त्रता-आन्दोलन का एक अंग बनाए रखा। गाँधी जी ने अपने विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ‘संघ’ बनाए तो गो-रक्षा के लिए गो-सेवा संघ भी स्थापित किया.
विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री और श्रीराम गौशाला समिति के अध्यक्ष चम्पतराय ने कहा घास-फूस खाकर अमृतोपम दूध प्रदान करने वाली गाय वास्तव में प्रभु की सृष्टि में अपनी उपमा आप हैं, गोदुग्ध सचमुच इस लोक का अमृत है, एक दूध से ही कितने पदार्थ तैयार किये जाते हैं, बैलों से खेती करने तथा बोझा ढोने का काम लिया जाता है, गोबर तथा गोमूत्र वैज्ञानिकों द्वारा सर्वोत्तम खाद घोषित किए जाते हैं. मरने पर गाय का चमड़ा तथा हड्डियाँ आदि भी मनुष्य जाति के लिए परमोपयोगी सिद्ध होते हैं, हिन्दू समाज की मान्यता है कि मनुष्य की मृत्यु के अनन्तर गाय उसको वैतरणी से पार कराती है, मनुष्य को उसके जीवन में ही संसार-सागर को पार करने में जितना सहारा गाय से मिलता है उतना और किसी भी प्राणी से नहीं मिलता.
विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री और श्रीराम गौशाला समिति के अध्यक्ष चम्पतराय ने कहा जीते जी और मरने पर भी मनुष्य जाति पर इतने उपकार बरसाने वाली गाय को हिन्दुओं ने, यदि माता कहा तो क्या अनुचित किया।वेदों में गाय का नाम ही ‘अवध्न्या’ अर्थात् ‘जो मारी न जाए’ आया है. उन्होने कहा भारत वर्ष से विदेशियों की सत्ता को समाप्त करने के लिए जितने हिंसक-अहिंसक आन्दोलन आज तक चले, जितनी आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी गई उन सब में गौ-रक्षा को पूरा-पूरा महत्व दिया गया. राजपूतों, मराठों, और सिखों ने गौरक्षा के लिए क्या नहीं किया .बैठक को संबोधित करते हुये विहिप केन्द्रीय सलाहकार सदस्य पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने कहा विहिप संरक्षक वा श्रीराम गौशाला समिति के पूर्व अध्यक्ष स्व अशोक सिंहल और संत धर्माचार्यो की प्रेरणा के कारण ही लगभग सवा सौ गौवंशो का लालन पालन किया जा रहा है। यही नही एक दर्जन गौ औषधियो और देशी उपजाऊ खाद निर्माण से आज गौशाला स्वावलंबी बन गयी है।फिर भी गौ संरक्षण संवर्धन के लिये समाज के हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए । उन्हो ने राज्य सरकार द्वारा गो हत्या पर रोक की जहां प्रशंसा की वही छुट्टा गौवंशो द्वारा फसल नष्ट होने पर चिंता प्रकट करते हुये सरकार से समाधान की मांग की।इस अवसर पर सासंद लल्लू सिंह,योगाचार्य डाॅ चैतन्य, शिवदास सिंह शरद शर्मा, वीरेन्द्र कुमार अजय रस्तोगी गौरीशंकर,अग्रवालओमप्रकाश सिंह, लालजी जायसवाल घनश्याम जायसवाल,बालचंद्र वर्मा आदि उपस्थित हुए ।

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