विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री और श्रीराम गौशाला समिति के अध्यक्ष चम्पतराय ने कहा जीते जी और मरने पर भी मनुष्य जाति पर इतने उपकार बरसाने वाली गाय को हिन्दुओं ने, यदि माता कहा तो क्या अनुचित किया।वेदों में गाय का नाम ही ‘अवध्न्या’ अर्थात् ‘जो मारी न जाए’ आया है. उन्होने कहा भारत वर्ष से विदेशियों की सत्ता को समाप्त करने के लिए जितने हिंसक-अहिंसक आन्दोलन आज तक चले, जितनी आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी गई उन सब में गौ-रक्षा को पूरा-पूरा महत्व दिया गया. राजपूतों, मराठों, और सिखों ने गौरक्षा के लिए क्या नहीं किया .बैठक को संबोधित करते हुये विहिप केन्द्रीय सलाहकार सदस्य पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने कहा विहिप संरक्षक वा श्रीराम गौशाला समिति के पूर्व अध्यक्ष स्व अशोक सिंहल और संत धर्माचार्यो की प्रेरणा के कारण ही लगभग सवा सौ गौवंशो का लालन पालन किया जा रहा है। यही नही एक दर्जन गौ औषधियो और देशी उपजाऊ खाद निर्माण से आज गौशाला स्वावलंबी बन गयी है।फिर भी गौ संरक्षण संवर्धन के लिये समाज के हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए । उन्हो ने राज्य सरकार द्वारा गो हत्या पर रोक की जहां प्रशंसा की वही छुट्टा गौवंशो द्वारा फसल नष्ट होने पर चिंता प्रकट करते हुये सरकार से समाधान की मांग की।इस अवसर पर सासंद लल्लू सिंह,योगाचार्य डाॅ चैतन्य, शिवदास सिंह शरद शर्मा, वीरेन्द्र कुमार अजय रस्तोगी गौरीशंकर,अग्रवालओमप्रकाश सिंह, लालजी जायसवाल घनश्याम जायसवाल,बालचंद्र वर्मा आदि उपस्थित हुए ।