bell-icon-header
अयोध्या

‘जीवन में राम’ भाग 8: पर्यावरण की अनुकूलता का उदाहरण भी है श्रीराम का राज

पढ़िए, सिद्धपीठ श्रीहनुमन्निवास के आचार्य मिथिलेश नन्दिनी शरण की आलेश श्रृंखला जीवन में राम का आठवां भाग…

अयोध्याJan 15, 2024 / 02:54 pm

Janardan Pandey

जीवन में राम।

श्रीरामार्चा महायज्ञ के माहात्म्य में एक बड़ी सुन्दर और अर्थपूर्ण बात कही गई है कि समस्त जगत का हित चाहने वाला श्रीराम को अत्यन्त प्रिय होता है- सर्वभूतहित: साधु: श्रीरामस्यातिवल्लभ:। इस कथन के मूल में श्रीराम के लोकमंगलकारी चरित्र का संकेत है जिसकी ‘सर्वभूतेषु को हित:’ कहा है। श्रीनारद जी ने श्रीराम के इसी गुण को स्पष्ट करते हुए ‘प्रजानां च हिते रत:’ कहा है। ‘रक्षिता जीव लोकस्य’ और ‘सर्वलोकप्रिय:’ कहते हुए श्रीराम की सर्वभूतहितकारिता को व्याख्यायित किया है।

कथा विस्तार में जन्म, विवाह, वनवास और राज्याभिषेक आदि के प्रसंगों में यह गुण दिखाई देता है। अयोध्यावासी स्त्री-पुरुष श्रीराम को किस प्रकार अपना प्रिय मानते हैं इसका वर्णन मानस में इस प्रकार है – उमा अवध बासी नर नारि वृद्ध अरु बाल। प्रानहुँ ते प्रिय लागहु सब कहुं राम कृपाल। श्रीराम की इस हितैषिणी वृत्ति का प्रभाव यह है कि विषैले कीट, बिच्छू और सर्प भी उनके समीप आकर दंश नहीं करते। जिनहिं निरखि मग संपिन बीछी। तजहिं विषम विष तामस तीछी। जयंत पर कृपा, जटायु पर कृपा, वानर-भालुओं पर ऐसा स्नेह अन्यत्र दुर्लभ है। अपनी चंचलता और स्वभावगत अनिश्चितता के लिए प्रसिद्ध वानर प्रभु के सचिव हैं और डूब जाने के लिए प्रसिद्ध पत्थर उनके स्पर्श से तैरने लगते हैं।

यह भी पढ़ें

‘जीवन में राम’ भाग 7: अपने चरित्र के कारण मानव समाज के आदर्श हैं श्रीराम


यह इतिहास होने के साथ ही गंभीर प्रतीक भी है। श्रीराम का स्पर्श डूबने से बचाने वाला है। श्रीराम का यह वैभव असंख्य नाम रूपों में बिखरे सम्पूर्ण जगत को एक आश्वस्ति देता है। उनका राज्य जहां नागरिकों को उनकी मर्यादा, और सौविध्य की प्रामाणिकता देता है, वहीं पशु-पक्षी, कीट पतंगों और पर्यावरण की अनुकूलता का उदाहरण बनता है। राम राज्य में न अग्निदाह का भय होता है और न ही कोई जल में डूबकर मरता है। वहां चोरी का भय भी नहीं है। यह कथन सुरक्षा से अधिक निर्विघ्न आजीविका का प्रमाण बनता है। दस्यु और तस्करों से मुक्त समाज और धर्म के यथावत पालन से प्रसन्न हुई प्रकृति का प्रमाण देते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं-मांगे बारिद देहिं जल राम चंद्र के राज। बादल मांगने पर पानी देते हैं।

यह भी पढ़ें

‘जीवन में राम’ भाग 6: वचन पूरा करने की दृढ़ता है श्रीराम के जीवन का असाधारण गुण

Hindi News / Ayodhya / ‘जीवन में राम’ भाग 8: पर्यावरण की अनुकूलता का उदाहरण भी है श्रीराम का राज

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.